निकाली जगन्नाथ रथ यात्रा, 40 हजार लोगों ने किए दर्शन

जब प्रशासन ने नहीं दी अनुमति तो ताला तोड़कर निकाली जगन्नाथ रथ यात्रा, 40 हजार लोगों ने किए दर्शन



भोपाल। मंगलवार को मध्य प्रदेश में कई शहरों में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। सबसे बड़ा व बगैर अनुमति कार्यक्रम विदिशा जिले के ग्राम मानोरा में हुआ। यहां जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी तो भक्तों ने धर्मशाला के गैराज का ताला तोड़कर वहां रखा रथ निकाला और उसमें भगवान को विराजित कर यात्रा निकाल दी। इसमें कोरोना के खौफ को ताक पर रख 40 हजार से ज्यादा लोगों ने दर्शन किए।


मानोरा मंदिर के पुजारी भगवतीप्रसाद वैष्णव के मुताबिक मंगलवार सुबह आरती के बाद 6.30 बजे भगवान को रथ में बैठाकर गांव का भ्रमण कराते हुए जनकपुरी मंदिर के सामने रथ ले जाकर खड़ा कर दिया। जहां देर शाम तक करीब 40 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए।


एक दिन पहले प्रशासन से मांगी थी अनुमति


मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भगवान सिंह रघुवंशी का कहना है कि गांव के लोगों ने परंपरा बनाए रखने के लिए कुछ श्रद्धालुओं ने धर्मशाला का ताला तोड़कर रथ यात्रा निकाल दी। हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष अतुल तिवारी ने बताया कि हमने एक दिन पहले प्रशासन से अनुमति मांगी। लेकिन, सुबह तक अनुमति नहीं मिली, इसलिए गांव वालों के सहयोग से ताला तोड़कर रथ यात्रा निकाली गई।


उज्जैन के मंदिरों में ही रथ में विराजे जगन्नाथ


तीर्थनगरी उज्जैन में प्रशासन की रोक के बाद मंदिरों में ही परंपरा निभाई गई। खाती समाज ने जगदीश मंदिर के भीतर मंगलवार को छोटे से रथ पर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा व बलभद्र को विराजित कर भ्रमण कराया। इसी तरह इस्कॉन मंदिर में पुजारी भगवान जगन्नाथ के अर्चाविग्रह को द्वार तक लाए और पुन: मंदिर में स्थापित कर दिया।


बुंदेलखंड में नहीं टूटी परंपरा


उधर, बुंदेलखंड अंचल के पन्ना जिले में 170 वर्षो से चली आ रही रथयात्रा की परंपरा कोरोना महामारी के दौर में भी नहीं टूटी। लोगों ने भी अपने घरों के दरवाजे व छतों से दूल्हा बने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। भक्तों ने घरों की छतों व दरवाजों से भगवान की आरती उतारी व फूल बरसाए।


शहडोल में 500 मीटर में सिमटी रथ यात्रा


शहडोल जिले में मोहन राम मंदिर से रथयात्रा निकाली गई। इस बार रथयात्रा सुबह 9 बजे शुरू हुई और 9:30 बजे पंचायती मंदिर में जाकर समाप्त हुई। शहडोल जिले में जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा का इतिहास 140 साल पुराना है । इस बार कोरोना के कारण रथ यात्रा पर प्रशासन ने रोक लगाई हुई थी। यही कारण है कि यह रथ यात्रा 5 किलोमीटर की जगह 500 मीटर के दायरे में ही सिमट कर रही।


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