जिले में ‘‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’’ अभियान का पहला चरण शुरू
तीन चरणों में स्क्रीनिंग कर होनी है सक्रिय क्षय रोगियों की खोज
एक जनवरी तक चलेगा पहले चरण का अभियान
टीबी रोगी के लिए होगी स्क्रीनिंग, जबकि कोविड की भी मौके पर ही की जाएगी जांच
जिला क्षय रोग अधिकारी के नेतृत्व में जिला जेल पहुंची अभियान की टीम
गोरखपुर। विश्व में हर साल क्षय रोग के कारण करीब 14 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में यह संख्या करीब 4.8 लाख है। इस बीमारी को 2025 तक समाप्त करने के लिए देश में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसी के तहत जिले में ‘‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’’ अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान तीन अलग-अलग चरणों में चलना है जिसके पहले चरण की शुरूआत हो चुकी है। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र ने दी। उन्होंने बताया कि सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी की देखरेख में पहला चरण एक जनवरी तक चलेगा। तीनों चरणों के दौरान स्क्रीनिंग कर सक्रिय क्षय रोगियों की खोज की जानी है। अभियान के दौरान एनटीईपी और आईडीएसपी की संयुक्त टीम जाएगी। स्क्रीनिंग के दौरान जिनमें क्षय रोग के लक्षण मिलेंगे, उनके बलगम का नमूना लिया जाएगा और जांच की जाएगी। जिन लोगों की स्क्रीनिंग होगी उनकी मौके पर ही कोविड जांच भी की जाएगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि विश्व के टीबी मरीजों की जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा भारत में पाया जाता है। भारत के टीबी मरीजों की कुल जनसंख्या का पांचवा हिस्सा उत्तर प्रदेश में रह रहा है। अगर समय पर इलाज न हो या इलाज को बीच में छोड़ दिया जाए तो टीबी रोग जानलेवा बन जाता है। इसलिए मरीज की समय से पहचान करना और उसे निःशुल्क चिकित्सा मुहैय्या कराना नितांत अनिवार्य है। भारत सरकार और शासन से मिले दिशा-निर्देशों के अनुसार 26 दिसम्बर से 25 जनवरी तक तीन चरणों में अभियान चला कर सक्रिय क्षय रोगियों को खोजना है और उनका इलाज करना है। पहला चरण शुरू हो चुका है जो एक जनवरी तक चलेगा। पहले चरण में अनाथालय, बृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय और जिला कारागार में स्क्रीनिंग की जाएगी। दूसरे चरण में दो जनवरी से आठ जनवरी एवं 10 जनवरी से 12 जनवरी तक शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती के साथ-साथ मधुमेह और एचआईवी की दृष्टी से हाई रिस्क एरिया में स्क्रीनिंग होगी। तीसरे चरण में 13 जनवरी से 25 जनवरी तक निजी चिकित्सकों, प्रयोगशाला, कैमिस्ट आदि से संपर्क कर उन्हें संवेदीकृत किया जाएगा और टीबी रोगियों की सूचन प्राप्त की जाएगी। इन तीनों चरणों में टीबी की स्क्रीनिंग और कोविड जांच साथ-साथ की जानी है।
इन जगहों पर चलेगा अभियान
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि जिला कारागार में 26 से 30 दिसम्बर तक, सरजू देवी शिक्षा संस्थान, गगहा स्थित सरस्वती शिशु गृह, डेरवा में लक्ष्मी सर्व दिव्यांग सेवा संस्थान, कैंपियरगंज में आसरा विशेष स्कूल और भटहट स्थित प्रोविडेंस होम में 28 दिसम्बर को, राजकीय सम्प्रेक्षण गृह, खोराबार स्थित गोकुल वृद्धाश्रम, चरगांवा स्थित खुला आश्रयगृह में 29 दिसम्बर को, एशियन सहयोगी संस्था और चरगांवा स्थित मदर टेरेसा मिशनरी ऑफ चैरेटी में 30 दिसम्बर को टीम जाएगी। राजकीय महिला सम्प्रेक्षण गृह और खोराबार स्थित प्रतीक्षा सेल्टर होम में शनिवार को अभियान चलाया गया। उन्होंने बताया कि उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विराट स्वरूप श्रीवास्तव, एनटीईपी के जिला समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह और पीपीएम अभय नारायण मिश्र अभियान के पर्यवेक्षण व रिपोर्टिंग में सहयोग देंगे।
यह जानेंगे तो क्षय रोग से होगा बचाव
• प्रत्येक 10 में से 07 व्यक्ति इसके बैक्टेरिया से प्रभावित है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर प्रभावित व्यक्ति टीबी की चपेट में आ जाता है।
• बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिये उनके पैदा होने के बाद अतिशीघ्र बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है।
• टीबी का एक मरीज 10-15 लोगों को इसका बैक्टेरिया बांट सकता है।
• मधुमेह रोगी और एचआईवी पीड़ित में टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
• ओवर डाइटिंग, ओवर एक्सरसाइज व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
• टीबी की दवा बीच में छोड़ देने से यह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी में बदल जाता है जिसका इलाज और कठिन हो जाता है। इसलिए इसका पूरा डोज लेना चाहिए।
• यह बीमारी टीबी मरीज के साथ बैठने से नहीं होती बल्कि उसके खांसी, छींक, खून व बलगम के संक्रमण से होती है।
• मुंह पर रूमाल रख कर, बलगम को राख या मिट्टी से डिस्पोज करके व सही समय पर टीबी की जांच व इलाज से हम इसे मात दे सकते हैं।
दोनों जांच आवश्यक
क्षय रोग और कोविड के कुछ लक्षण मिलते जुलते हैं, इसलिए टीबी रोग की खोज के लिए स्क्रीनिंग के साथ कोविड जांच के भी दिशा-निर्देश आए हैं। अभियान की समीक्षा भारत सरकार के स्तर से होनी है। टीम गठित कर क्षेत्र में उतारी जा चुकी है।
-श्रीकांत तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
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