गोरखपुर के सिर्फ शहरी क्षेत्र में बढ़ रहे संक्रमित, अब ऐसे हो रही पहचान 


बचत अधिकारी के नेतृत्‍व में कार्य कर रही टीम


गोरखपुर। जिले में आने वाले मामलों में से अधिकतर शहरी क्षेत्र के हैं। विगत 5 दिनों का आंकड़ा ही अगर देखा जाए तो इस दौरान मिले संक्रमित में शहर के 196 मरीज के अंतर में ग्रामीण क्षेत्र के मात्र 141 लोग ही पॉजिटिव पाए गए हैं। किसी मरीज के संपर्क में आने वालों की पहचान के लिए बचत अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है। टीम कंट्रोल रूम में काम करती है। इसमें स्वास्थ्य, पुलिस व राजस्व विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से संक्रमित मरीज की जानकारी दी जाती है। उससे फोन कर उसके संपर्क में आए लोगों की सूची तैयार की जाती है। सूची में शामिल लोगों से भी टीम फोन पर बात करती है। अंत में पुलिस के सहयोग से मरीज के नंबर की सीडीआर (काल डिटेल रिपोर्ट) निकलवाई जाती है। उसकी सहायता से भी पता लगाया जाता है कि कुछ दिन पहले तक मरीज का संपर्क किससे-किससे था। उसके बाद अंतिम सूची तैयार होती है और शिविर लगाकर जांच की जाती है। सभी से जांच कराने को कहा जाता है। आनाकानी करने पर पुलिस का भी सहारा लिया जाता है।


 


कम सैम्पल में अधिक परिणाम


सटीक कांटेक्ट ट्रेसिंग का ही नतीजा है कि प्रशासन कम सैम्पल में अधिक परिणाम प्राप्त कर रहा है। जहां रैंडम जांच हो रही है, वहां पॉजिटिव की संख्या कम रह रही है। गोरखपुर में फिलहाल करीब 700 से 800 जांच प्रतिदिन हो रही है। प्रशासन इसे 2000 तक ले जाने की तैयारी कर रहा है। प्रशासन का मानना है कि ज्यादा जांच आने से पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ सकती है।


 


कहां आए कितने मामले


गोरखपुर शहर के रायगंज में हुई जांच में 50 में से 20 लोग संक्रमित मिले। जबकि हुमायूंपुर शिविर में 40 में से करीब 15 लोग पॉजिटिव मिले। इसी तरह से तिवारीपुर में हुई जांच में करीब 35 फीसद लोग पॉजिटिव मिले थे। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि सटीक कांटेक्ट ट्रेसिंग पर जोर दिया जा रहा है। कभी 30 से 40 फीसद लोग पॉजिटिव आ रहे हैं। रैंडम जांच में यह संख्या कम है। आने वाले समय में पॉजिटिव मामलों में कमी देखने को मिल सकती है।


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