टीबी और कुष्ठ उन्मूलन में मददगार बनेंगे सीएचओ, स्वास्थ्य विभाग दे रहा है हैंड्स ऑन प्रशिक्षण

205 सीएचओ को दी जा रही टीबी और कुष्ठ से जुड़ी जानकारी


गोरखपुर। टीबी और कुष्ठ उन्मूलन में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) मददगार बनेंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग उन्हें हैंड्स ऑन प्रशिक्षण दे रहा है। जिले के 205 सीएचओ को इस कार्यक्रम के जरिये टीबी और कुष्ठ से जुड़ी जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण के प्रथम बैच का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार में बुधवार को किया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि दो सप्ताह तक आने वाली हर खांसी टीबी नहीं होती लेकिन वह टीबी हो भी सकती है। इसलिए ऐसे लक्षण वाले व्यक्ति के बलगम की जांच अवश्य कराएं। बलगम की फॉलोअप जांच भी अवश्य कराई जानी चाहिए। टीबी मरीज को यह संदेश दें कि उचित दवा, उचित मात्रा में और उचित समय तक अवश्य देना है । प्रत्येक टीबी मरीज की एचआईवी, मधुमेह और यूनिवर्सल ड्रग सेंस्टिविटी टेस्ट (यूडीएसटी) अवश्य कराई जाए । मधुमेह के मरीजों को बताएं कि उनके इलाज में टीबी की दवा तब तक कारगर नहीं होगी जब तक मधुमेह नियंत्रित नहीं होगा ।


प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी और जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने कहा कि टीबी मरीजों को दवा के आंशिक प्रभावों के बारे में परामर्श दें। उन्हें बताएं कि अगर दवा लेने से पेशाब या पसीने का रंग बदलता है तो घबराएं नहीं। खांसी के अलावा रात में पसीना आना, बुखार बना रहना, भूख न लगना, तेजी से वजन घटना जैसे लक्षण टीबी के संभावित मरीज के हो सकते हैं। उन्होंने कुष्ठ रोग के बारे में प्रकाश डाला और बताया कि शरीर के सुन्न दाग धब्बे कुष्ठ रोग हो सकते हैं। इनकी पहचान के लिए पूरे शरीर की स्क्रीनिंग आवश्यक है। अगर शरीर पर पांच सुन्न दाग हैं तो ऐसा मरीज पीवी कुष्ठ रोगी कहलाता है, जबकि पांच से अधिक दाग धब्बों व नसों में मोटापन के मरीज को एमबी कुष्ठ रोगी कहते हैं। दोनों बीमारियों का सरकारी अस्पताल में निःशुल्क इलाज उपलब्ध है।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने सभी सीएचओ को प्रशिक्षित किया । उद्घाटन कार्यक्रम को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ नंद कुमार और जपाइगो संस्था की प्रतिनिधि डॉ निकिता राव ने भी संबोधित किया । इस अवसर पर डॉ मिर्जा आफताब बेग, डॉ भोला गुप्ता, डीसीपीएम रिपुंजय पांडेय, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक एएन मिश्रा, अभयनंदन और आदिल प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

कई नई जानकारियां मिल रही हैं


गोला ब्लॉक के कोहरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सीएचओ संतोष ने बताया कि टीबी के लक्षणों आदि के बारे में तो उन्हें पहले से जानकारी थी लेकिन प्रशिक्षण में कई नई बातें उन्हें जानने को मिली हैं। इलाज के चरणों की जानकारी मिली और पता चला कि 24 सप्ताह लगातार चलनी है । दवा को मरीज के वजन के हिसाब से दिया जाता है । टीबी मरीज की अनिवार्य तौर पर एचआईवी व मधुमेह जांच की बात भी पहली बार जानने को मिली ।

चल रहा है अभियान

प्रभारी डीटीओ डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि 23 अगस्त से 30 सितम्बर तक सीएचओ द्वारा टीबी मरीजों की अधिकाधिक जांच करवाने के लिए अभियान शुरू हुआ है । गोरखपुर जिले को कुल 6667 संभावित मरीजों के बलगम की जांच सीएचओ की मदद से करवानी है । प्रशिक्षण में उन्हें बताया जा रहा है कि आशा और एएनएम की मदद से मरीजों की स्क्रीनिंग करें और संभावित मरीज को बलगम जांच के लिए नजदीकी डीएमसी भेजें।

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