वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की आरती

जयघोष के साथ सुरु हुई सूर्यकुण्ड धाम की 359वीं महाआरती

गोरखपुर। 2 फरवरी सूर्यकुण्ड धाम जीर्णोद्धार समिति की ओर से की जाने वाली गंगा आरती वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ।



कार्यक्रम समिति के मीडिया प्रभारी दिव्य प्रताप सिंह ने पूजन की शुरुआत भगवान गणेश जी की स्तुति से किया गया। सबसे पहले भगवान लक्ष्मी नारायण की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन अर्चन किया गया। जिसके बाद शुरू हुआ सूर्यकुण्ड धाम की पावन गंगा आरती इस बीच मंत्रोच्चार और घंटा घड़ियाल गूंज रहे थे। इस गूंज से पूरा धाम परिसर भक्तिमय हो उठा। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाआरती लगभग एक घंटे तक चली गंगा आरती के भक्ति माहौल में लोग खो गए। आरती का संचालन समिति के संजीव तिवारी कर रहे थे विगत वर्षों से चली आ रही महाआरती के क्रम में गुरुवार को 359वीं गंगा आरती वैदिक मंत्रोचार के बीच सम्पन्न हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाए व पुरुष शामिल होकर अपनी आस्था व श्रद्धा निवेदित की। सूर्यकुण्ड धाम सरोवर पर माँ गंगा की आरती हरिद्वार, काशी के तर्ज पर वर्ष 2015 में इसकी शुरुआत की गई। यहां पर प्रत्येक गुरुवार को शाम को महाआरती की जाती है इस महाआरती में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो कर इसके साक्षी बनते है। समिति के अध्यक्ष अमरदीप गुप्ता ने कहा कि ने कहा कि इन नदियों और सरोवरों का धार्मिक रूप से जितना महत्व है उतना ही महत्वपूर्ण यह जीवन के लिए है। उन्होंने कहा कि सूर्यकुण्ड धाम हमारी पौराणिक विरासत है और यह सरोवर महाभारत काल का है यह सरोवर साफ-सुथरा और पवित्र रहे इसकी जिम्मेदारी हम सभी की है। समिति द्वारा शुरू किए गए सरोवर की साफ सफाई अभियान, सांस्कृतिक, सेवा कार्य एवं महाआरती का आयोजन हमारे मुख्यमंत्री परम पूज्य महंत योगी आदित्यनाथ जी के दिशा निर्देश पर शुरू की गई जो आज भी निरंतर जारी है उन्होंने कहा क्षेत्रों के लोगों का भी दायित्व बनता है इस पुनीत कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें ताकि इस पुनीत कार्य की गति रुकने ना पाए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से समिति के अध्यक्ष अमरदीप गुप्ता, अजीत जैन, समरेन्दू सिंह, संजीव तिवारी, दिव्य प्रताप सिंह, प्रशान्त त्रिपाठी, सिद्धि गुप्ता, संध्या, कुमकुम, लाली, राधा, सुहानी, रिमझिम, देवेश, किरन राय, मुकेश, गोलू, कृष्णा, कामेश राय, जितेन्द्र, अशोक, अतुल, आकाश, मोनू गुप्ता, अमित सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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