गुरु के प्रति सम्मान-श्रद्धा अर्पित करने का दिन है गुरु पूर्णिमा


गुरु पर्व तथा गुरु पूर्णिमा का त्योहार प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु के प्रति सम्मान अथवा श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई रविवार को है! यह पर्व महर्षि वेदव्यास जो हिंदू महाकाव्य महाभारत के रचयिता,पुराणों के लेखक व भारतवर्ष के सम्मानित गुरु हैं तथा जिन्हे गुरु-शिष्य परम्परा का आदर्श माना गया है के सम्मान में यह पर्व मनाया जाता है.बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिवस अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि भगवान बुद्ध ने इसी दिन बोध गया में ज्ञान प्राप्ति के अनंतर अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था, जैन धर्म में मान्यता है कि 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने कैवल्य की प्राप्ति के उपरांत इसी दिन इंद्रभूमि गौतम को अपना प्रथम शिष्य बनाया तथा स्वयं गुरु कहलाये!


गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का दर्शन पूजन करना बहुत ही पुण्यदायी माना गया है, गुरु दीक्षा लेने के लिए यह सर्वोत्तम मुहूर्त है, दान पूण्य करना विशेष फलदायी होता हैं शिव जी के अति प्रिय मास  श्रावण मास 6 जुलाई से प्रारम्भ हो रहा है और 29 दिन का यह मास 3 अगस्त दिन सोमवार को ही समाप्त हो रहा हैं।


पं राजेश कुमार मिश्र, उपाध्यक्ष भारतीय विद्वत महासंघ


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