कुंडली में बृहस्पति के शुभ प्रभाव से धन लाभ, सौभाग्य और लंबी आयु

ज्योतिर्विद मनीष भाटिया


गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर। गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
अर्थात- गुरू ही ब्रह्मा है, गुरू ही विष्णु है और गुरू ही भगवान शंकर है। गुरू ही साक्षात परब्रह्म है, ऐसे गुरू को मैं प्रणाम करता हूं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 5 जुलाई को मनाया जाएगा।
इस दिन घर के सभी  बड़े, बुजूर्ग व जिनसे भी आपने अपने जीवन में कुछ न कुछ सीखा है उन सभी लोगों के प्रति सम्मान अर्पित करने का दिन है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु देव को समर्पित है।
 ऐसी मान्यता है कि बिना गुरु के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। जीवन मे जब सच्चे गुरु की प्राप्ति हो जाती है तब जीवन से सभी प्रकार के अंधकार मिट जाते हैं।
महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्म दिवस भी गुरु पूर्णिमा के दिन ही  मनाया जाता है।ऐसा माना जाता है कि महर्षि व्यास जी ही सभी 18 पुराणों का रचयिता है।
इतना ही नहीं महर्षि व्यास जी को वेदों का विभाजन करने का भी श्रेय प्राप्त है।
कुछ स्थानों  पर गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है......!
इस दिन गुरु पूर्णिमा के दिन ही छाया चंद्र ग्रहण भी  लग रहा है अता इस दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा आदि का कार्य पूर्ण करें.!



कुंडली में बृहस्पति के शुभ प्रभाव से धन लाभ, सुख-सुविधा, सौभाग्य, लंबी आयु आदि मिलता है। 
यदि किसी जातक की जन्म कुंडली मे गुरु देव ब्रहस्पति पीड़ित हैं या नीच राशि मकर में बैठे हैं या अस्त हैं अथवा किसी भी प्रकार से अशुभ फल दे रहे हैं तो ऐसे जातक को गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन  कर पूर्व दिशा की ओर मुख कर पीले रंग के आसन पर बैठ कर हल्दी की माला से गुरु के जप मंत्र - 
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
का 21 माला जप करना चाहिए। 
तथा चने की दाल और केला  मंदिर में दान करना चाहिए।
ऐसा करने से गुरु ग्रह के शुभ फलों की प्राप्ति होती है।


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