सावन में सोमवार को होती है मनोकामना पूरी

6 जुलाई से शुरू होने वाले सावन में इस बार विषेश संयोग बन रहा है। आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार इस बार सावन माह में पांच सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहे हैं। पहला सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू होगा और आखिरी सोमवार के सर्वार्थ सिद्धि योग में खत्म भी होगा। दरअसल इस बार सावन माह में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। यह पवित्र माह सोमवार से ही शुरू होकर सोमवार 3 अगस्त को ही इसका समापन भी होगा। यह खास योग कई वर्षों के बाद ही बनता है यानी कि इस बार सावन मास में भगवान शिव के भक्तों को अधिक लाभ देने वाला है। 



श्रावण का एक अर्थ है सुनना। अतः इस मास में कुत्सित विचारों को त्यागकर भगवान की कथा, प्रवचन, भजन, सत्संग व धर्मोपदेश सुनने चाहिए। इस मास की सारी तिथियां व्रत व पुण्य कार्यों के लिए होती हैं। श्रावण मास में वातावरण में जल तत्व की अधिकता रहती है। चंद्रमा जल तत्व का अधिपति ग्रह है। भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर सुशोभित कर रखा है। चंद्रमा से विशेष स्नेह होने के कारण भगवान शिव को चंद्रशेखर के नाम से भी जाना जाता है। पुरूषसूक्त के अनुसार "मचन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्योजायत अर्थात चंद्रमा मन का कारक है और मन के नियंत्रण और नियमन में चंद्रमा का अहम योगदान है। पूजा अराधना में मन का भटकाव एक बड़ी बाधा बनकर खड़ा हो जाता है। उसे नियंत्रित करना सहज नहीं होता। भगवान शंकर ने चंद्रमा को मस्तक में दृढ़कर रखा है, चंद्रमा सोमवार के अधिपति हैं, इसीलिए शिव को सोमवार अति प्रिय है। श्रावण में सोमवार के दिन पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। इसमें शिव अराधना से श्रद्धालुओं को लाभ होता है। 


सावन में पांच सोमवार का योग्य



  • पहला सोमवार : 06 जुलाई

  • दूसरा सोमवार : 13 जुलाई

  • तीसरा सोमवार : 20 जुलाई

  • चौथा सोमवार : 27 जुलाई

  • पांचवा सोमवार : 03 अगस्त


सर्वार्थ सिद्धि योग


इस बार सावन माह सोमवार सर्वार्थ सिद्धि 'बन रहे हैं। पहला सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू और आखिरी सोमवार के सर्वार्थ सिद्धि योग में खत्म होगा। पंडित भरत मिश्रा के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग वक्त बेहद शुभ होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग यानी अपने में सिद्ध । इस दिन की गई पूजा या हवन-यज्ञ का महत्व काफी अधिक होता है। पंडित मिश्रा ने बताया कि इस रोटक व्रत भी काफी अहमियत मानी जाती है। श्रावण प्रत्येक सोमवार (पांच सोमवार होने से रोटक व्रत कहलाते को भगवान शिव-पार्वती की प्रीति के लिए व्रक रखकर शिवजी की बेलपत्र, दूध, दही, चावल, पुष्प, गंगाजल पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के लिए व्रत और उनकी करने से उनकी विशेष कृपा होती है। आखिरी सोमवार रक्षा बंधन रहेगा।


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