'‘सैनिटाइज किये शव से डरे नहीं, बस रखें सावधानी’’


  • कोरोना संक्रमण से हुई पहली मौत का दाह संस्कार करवाने वाले एसीएमओ ने दी जानकारी

  • बढ़ते संक्रमण के बीच भय और भ्रांतियों को न पालने की अपील

  • कोरोना वार्ड, कोरोना मरीजों के परिवहन समेत कई अन्य जिम्मेदारी देख रहे हैं डॉ. नंद कुमार



गोरखपुर, 24 जुलाई-2020। अगर कोरोना से लड़ना है तो सबसे पहले समाज में फैले भय और भ्रांतियों से लड़ना होगा। यह भी एक किस्म का फ्लू है जो उनके लिए ही ज्यादा घातक है जिन्हें ब्लड प्रेशर, शुगर, सांस संबंधी बीमारियां, कैंसर ई. की शिकायत है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक है, वह इस बीमारी से लड़ कर स्वस्थ हो रहे हैं। इसके बावजूद समाज में कई प्रकार की भ्रांतियां फैलने से लोग अपने पड़ोसियों और परिजनों तक के प्रति व्यवहार बदल रहे हैं जो अनुचित है। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां परिजन कोरोना संक्रमित के शव का अंतिम संस्कार करने तक को तैयार नहीं हुए। लोगों में भय है कि कोरोना संक्रमित के शव से भी संक्रमण फैल सकता है, लेकिन सावधानी रखी जाए तो ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। सैनिटाइज कर सौंपे गये शव के प्रति व्यवहार बदलना होगा। यह कहना है अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नंद कुमार का।


 


डॉ. नंद कुमार वही अपर मुख्य चिकित्साधिकारी हैं जिन्होंने गोरखपुर में पहले कोरोना संक्रमित मौत के बाद शव का दाह संस्कार करवाया था। वह कोरोना वार्ड में पीपीई किट पहन कर निरीक्षण करते हैं। कोरोना मरीजों के परिवहन में एंबुलेंस सेवा की व्यवस्था देखते हैं और मरीजों के परिवहन से जुड़े कर्मचारियों के संपर्क में भी रहते हैं। कोविड अस्पतालों में लॉजिस्टिक का इंतजाम भी देखते हैं। यानी कोरोना संक्रमितों के संपर्क में सावधानियों के साथ इन्हें कई बार प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर आना पड़ता है। लेकिन जागरूकता का असर है कि कोरोना से प्रति उनके मन में कोई भय नहीं है।


 


उन्होंने बताया, ‘‘जब कैंपयरगंज के पहले कोरोना संक्रमित की इसी साल मई महीने में मौत हुई तो समाज में भारी भय का माहौल था। मृतक के परिजन भी घर चले गये। प्रशासन ने दाह-संस्कार की जिम्मेदारी उन्हें दी। उन्हें मालूम था कि शव से संक्रमण नहीं हो सकता। एक तो वह सैनिटाइज था, दूसरा शव न तो खांस सकता है, न ही छींक सकता है और न ही शव के भीतर कोई ऐसी गतिविधि होती है जिससे संक्रमण का खतरा हो। इसलिये बेहिचक उन्होंने यह जिम्मेदारी स्वीकार की। परिजन भी रात तक वापस आ गये। रात में शव का दाह-संस्कार किया। पीपीई किट की भी वहां आवश्यकता नहीं थी। हां, भारत सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन अवश्य किया।’’ यह बात समुदाय को भी समझनी होगी।


 


उन्होंने कहा, ‘‘इतनी सावधानी अवश्य रखें कि शव को छुएं नहीं। शव से लिपटें नहीं। दो गज की दूरी रखें। लोगों को चाहिए कि वह शव से घबराएं नहीं, बल्कि उसका सम्मान करें और उसकी मर्यादा का ख्याल रखें। सभी लोगों को मिल कर कोरोना संक्रमित, उसके परिजन और कोरोना संक्रमित के शव के प्रति सामाजिक भेदभाव के रवैये का बहिष्कार करना होगा। संक्रमितों की खोज और इलाज में जुटे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति भी भेदभाव के रवैये से ऊपर उठ कर उनका सम्मान किया जाना चाहिए।’’


 


एम्स ने की है रिसर्च की तैयारी


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) इस तथ्य पर शोध करने जा रहा है कि मृतक के शरीर पर अधिकतम कितने देर तक कोरोना वायरस टिक सकता है। अलग-अलग सतह पर कोरोना के टिकने के संबंध में लैंसेट का अध्ययन तो है लेकिन कोरोना संक्रमण मृतक शरीर के बारे में कोई स्पष्ट अध्ययन उपलब्ध नहीं है। सावधानी ही संक्रमण से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है।


 


कोरोना संक्रमित शव के संबंध में भारत सरकार के दिशा-निर्देश


• शव में जो भी ट्यूब बाहर से लगे हों उसे निकाल दें


• यदि शरीर में कोई बाहरी छेद किया गया हो तो उसे भी भर दें


• यह सुनिश्चित किया जाए कि शव से किसी तरह का लीकेज न हो


• शव को ऐसे प्लास्टिक बैग में रखा जाए जो कि पूरी तरह लीक प्रूफ हो


• ऐसे व्यक्ति के इलाज में जिस किसी भी सर्जिकल सामानों का इस्तेमाल हुआ हो उसे सही तरीके से सेनिटाइज किया जाए


 


अंतिम संस्कार से पहले बरती जाने वाली सावधानी :


 


परिजनों को निर्देश :


• शव को सिर्फ एक बार परिजनों को देखने की इजाजत होगी


• शव जिस बैग में रखा गया है, उसे खोला नहीं जाएगा, बाहर से ही धार्मिक क्रिया करें


• शव को स्नान कराने, गले लगने की पूरी तरह से मनाही है


• शव यात्रा में शामिल लोग अंतिम क्रिया के बाद हाथ-मुंह को अच्छी तरह से साफ़ करें और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें


• अंतिम संस्कार (जलाना या सुपुर्द -ए-ख़ाक) करने के बाद घर वालों और बाकी लोगों को हाथ और मुंह अच्छे से साबुन से धोने होंगें ।



  • • शव को जलाने के बाद राख को नदी में प्रवाहित कर सकते हैं

  • • शव यात्रा में कम से कम लोग शामिल हों


 


कोरोना से ज्यादा घातक हैं भ्रांतियां


जागरूकता के अभाव में कोरोना के प्रति तमाम भ्रांतियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। ऐसी सूचनाएं इस लड़ाई को कमजोर करेंगी। चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और समुदाय का मनोबल टूटेगा। टूटे मनोबल के साथ इस बीमारी का मुकाबला घातक होगा। सैनिटाइज हो चुके संक्रमित के शव के बारे में भ्रांति न पालें। सावधानी रखेंगे तो संक्रमण नहीं होगा।


-डॉ. श्रीकांत तिवारी, मुख्य चिकित्साधिकारी


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