महानिशा पूजा आज और महाअष्टमी व्रत 20 को संपन्न होगा : पं बृजेश पाण्डेय


महानिशा पूजा 19 को, महाअष्टमी व्रत 20 और नवमी व्रत एवं नवरात्र का हवन 21 अप्रैल को संपन्न होगा : ज्योतिषाचार्य पं बृजेश पाण्डेय


 
                           

गोरखपुर। वासंतिक नवरात्र में महानिशा पूजा का विशेष महत्व होता है जो आज दिनांक 19 अप्रैल दिन सोमवार को रात्रि में किया जाएगा।

भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 19 अप्रैल को सायं काल 6 बजकर 45 मिनट तक सप्तमी तिथि है उसके बाद अष्टमी तिथि लग जा रही है, जो दुसरे दिन 20 अप्रैल को रात्रि 7 बजकर 7 मिनट तक ही अष्टमी तिथि है। महानिशा पूजा अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि मिलने पर किया जाता है जो 19 अप्रैल को रात्रि में मिल रहा है इसलिए जनमानस में उपजी भ्रांतियों को दूर करने के लिए भारतीय विद्वत महासंघ ने निर्णय दिया है कि 19 अप्रैल को महानिशा पूजा किया जाएगा तथा महाअष्टमी 20 अप्रैल दिन मंगलवार को किया जाएगा।

साथ ही महानिशा पूजा अष्टमी व्रत रखकर किया जाता है, ऐसा जनमानस में भ्रम है जबकि महानिशा पूजा के लिए व्रत रखें या न रखें तब भी महानिशा पूजा करेंगे! अष्टमी व्रत और महानिशा पूजा अलग अलग हो जाता है क्योंकि महानिशा पूजा रात्रि में अष्टमी तिथि मिलने पर किया जाता है और महाअष्टमी व्रत सूर्योदय काल में अष्टमी तिथि मिलने पर किया जाता है सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत नहीं रहना चाहिए. नवमी युक्त अष्टमी व्रत रहने का शास्त्रोक्त विधान है। पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य ने यह भी बताया कि नव दिन व्रत रहने वाले भक्त गण 21अप्रैल को हवन कर कन्या पूजन करें, राम अवतार जन्मोत्सव मनावें तथा बटुक पूजन कर कन्या एवं बटुक को मिठा भोजन करावें तथा 22 अप्रैल को पारण करें। प्रथम दिन एवं अष्टमी व्रत रखने वाले भक्त गण 21अप्रैल को हवन करने के बाद पारण करें। अपने कुल परंपरा के अनुसार यह सभी कार्य सम्पन्न करें क्योंकि शास्त्र में भी कहा गया है कि शास्त्र विरद्धं करणीयम लोक बिरूद्धं ना करणीयम।

आदि शक्ति कि अराधना का सर्वोत्तम समय होता है नवरात्रि, जिसमे श्रद्धालु माँ दुर्गा के नव स्वरुपों कि विधि विधान पू्र्वक पूजा पाठ करते है।

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