आरती-पूजन के साथ श्रीराम कथा का विश्राम

गोरखपुर। रससिद्ध सार्वभौम संत नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार की पावन तपोभूमि गीता वाटिका - प्रांगण में श्री भाईजी की 50 वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय श्रीरामचरितमानस - कथा के नवम दिन 9 अप्रैल को जोधपुर से पधारे  कथाव्यास गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा कि जब लंका प्रस्थान करने के लिए वानर सेना अति उत्साहित हो रही थी तब प्रस्थान करने से पहले श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना व आराधना की । छत्रपति शिवाजी महाराज जब किसी युद्ध पर विजय प्राप्त करते थे तो महिषासुरमर्दिनी तुलजा भवानी की आराधना करते थे  और सैनिकों से भी आराधना करवाते थे ताकि अति उत्साह के कारण  किसी सैनिक की मति बिगड़ न जाए । अति उत्साह नशे जैसा होता है और उससे मति  बिगड़ने की संभावना रहती है।

हमारे जीवन में जब भी अति उत्साह का अवसर उपस्थित हो तो हमें भी अपने इष्ट की आराधना अवश्य करनी चाहिए।

जिसके चित्त में प्रेम भरा है वह किसी की निंदा नहीं करता । कथा का लक्ष्य है भगवत् प्रेम की प्राप्ति और 

रामहि केवल प्रेम पियारा

राम जी को केवल प्रेम ही प्रिय है।

14 वर्ष  वनवास की अवधि पूर्ण करके राम अयोध्या लौटे । बीच में रुक कर केवट से उन्होंने पूछा ---  तुम्हें क्या दूं ?  तुमने मुझसे कहा था मेरे वनवास से लौटने पर मुझसे कुछ अवश्य मांगोगे । केवट ने केवल यही मांगा कि मुझे अपने साथ अयोध्या ले चलिए । मैं आपके राज्याभिषेक का दर्शन करना चाहता हूं । राम के अयोध्या लौटने पर सबसे अधिक प्रसन्नता शत्रुघ्न को होती है । शत्रुघ्न ने 14 वर्ष तक अपने मन का दर्द किसी से नहीं कहा।

राम जी अयोध्या लौटे तो महारास जैसी अलौकिक घटना घटित हुई। श्री कृष्णावतार में महारास के समय एक-एक गोपी के साथ एक-एक श्याम थे । इसी प्रकार अयोध्या लौटने पर   एक- एक अवध वासी के साथ एक - एक राम थे । अवध का प्रत्येक 

नागरिक यही अनुभव कर रहा था -- राम सबसे पहले मुझसे ही मिले हैं।

भगवान शंकर उमा जी से कहते हैं --

अयोध्या के नगरवासी धन्य हैं , जिन्हें राजा के रूप में राम मिले हैं । राम में ऐसे- ऐसे गुण हैं जिनका वर्णन संभव ही नहीं है।

कथा से पूर्व मंचस्थ त्रिवेणी- संगम श्री भाईजी, मांजी एवं श्री राधा बाबा के चित्रपट एवं कथाव्यास का पूजन - अर्चन - माल्यार्पण किया गया।

कथा के पश्चात् हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के सचिव उमेश कुमार सिंहानिया ने महाराज जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन किया तथा आयोजक ओम प्रकाश रूँगटा को साधुवाद दिया।

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