शनिवार को शनिदेव के साथ हनुमान जी की भी करें पूजा और पायें हर भय से मुक्ति

आचार्य पंडित उपेंद्र नाथ मिश्र  के अनुसार हर दिन अलग देवी देवता को समर्पित है पर शनिवार के दिन शनिदेव के साथ राम भक्‍त हनुमान की पूजा का विधान हे क्यों जाने इसकी कहानी।

शनि को समर्पित है शनिवार

संकट मोचन कालीबाड़ी के मुख्य पुजारी पंडित उपेंद्र मिश्र ने बताया कि हिंदु धर्म में पूजा के लिए अलग अलग देवताओं की पूजा के लिए सप्‍ताह के विभिन्‍न दिन समर्पित है। जिसमें से मंगलवार को हनुमान जी की पूजा होती है और शनिवार को शनिदेव को। इसके बावजूद शनिवार को हनुमान जी की पूजा भी की जाती है, ऐसा क्‍यों। इस पूजा के पीछे एक बड़ी रोचक कथा बताई जाती है।

ये है कथा

कहते हैं कि रामायण काल में जब हनुमान जी, सीता माता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंचे, तो उन्होंने वहां एक कारागार में शनिदेव को उल्टा लटके देखा। पवनपुत्र ने जब शनि से इसकी वजह पूछी तो उन्‍होंने कहा कि रावण ने अपने योग बल से उन सहित कई ग्रहों को कैद कर रखा है। ये जान कर हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के कारागार से मुक्त करा दिया। इससे प्रसन्‍न होकर शनिदेव ने हनुमान जी से कोई वरदान मांगने को कहा। हनुमान जी ने वरदान में एक वचन मांग लिया जिसके अनुसार शनि को कलियुग में हनुमान भक्‍तों को अशुभ फल नहीं देना होगा। बजरंगबली ने शनि के कष्टों को दूर करके उनकी रक्षा की थी। इसलिए शनि ने यह वचन दे दिया था कि जो कोई शनिवार को हनुमान की पूजा करेगा उसे वे कोप भाजन नहीं बनायेंगे। तभी से ये परंपरा चल रही है। 

ये होते हैं लाभ 

मान्‍यता है कि शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती से होने वाले कष्टों का निवारण हो जाता है। राम भक्‍त हनुमान की शनिवार को पूजा से शनि का प्रकोप नियंत्रित होता है। इससे सूर्य व मंगल के साथ शनि की शत्रुता व योगों के कारण उत्पन्न कष्ट भी दूर हो जाते हैं। 

ऐसे करें पूजा

शनिवार को सूर्योदय के समय नहाकर श्री हनुमते नमः मंत्र का जप करें करते हुए तांबे के लोटे में जल और सिंदूर मिला कर हनुमानजी को अर्पित करें, उनको गुड़ का भोग लगाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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