छुआछूत की भावना से हिन्दू समाज कमजोर होता है : महन्त सुरेशदास
गोरखपुर। गोरखनाथ मन्दिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 50वीं पुण्यतिथि एवं ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की पाचवीं पुण्यतिथि समारोह के अन्तर्गत ''सामाजिक समरसता एवं सन्त समाज'' संगोष्ठी में शनिवार को दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या के महन्त सुरेशदास जी महाराज ने कहा कि 'छुआछूत मिटाओं और देश बचाओ' का मंत्र फूॅंकना होगा। छुआछूत की भावना और धार्मिक संकीर्णता से हिन्दू समाज कमजोर होता है, राष्ट्र कमजोर होता है। सामाजिक समरसता को व्यवस्था परिवर्तन का हिस्सा बनाना होगा और सामाजिक समरसता अभियान के लिए शिक्षण संस्थाओं को आगे आना होगा। हिन्दू समाज में उँचनीच, छुआछूत, नारी-पुरूष जैसी विषमताओं का कोई स्थान नही है। सनातन हिन्दू धर्म ने कभी भी सामाजिक विषमता को स्थान नही दिया। सनातन धर्म की आर्ष परम्परा के ग्रन्थों के अनेक मंत्रों एवं अनेक ग्रन्थों की रचना उन्होंने की जिन्हे बाद में समाज में अछूत मान लिया गया। हमारे यहाॅ वर्ण व्यवस्था थी किन्तु छुआछूत नही था। छुआछूत मध्यकाल के मुस्लिम शासन काल की देन है। मुस्लिम काल में हिन्दू समाज में अनेक विकृतियाॅ उत्पन्न हुई और कालान्तर में वे रूढ़िग्रस्त हो गई। किन्तु अब समय आ गया है कि हमें समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज की रचना करना चाहिये। भारत में सामाजिक विषमता की विषबेली विकसित हुई तो भगवान बुद्ध से रमणि महर्षि, स्वामी रामानन्द, नाथ पंथ की पूरी परम्परा, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और ब्रह्मलीन युगपुरूष महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज तथा ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज तक की महात्माओं, संतो की एैसी परम्परा मिलती है जो सदा इसके खिलाफ संघर्ष करते रहे हंै। भारत मे धर्मगुरुओं की एक श्रेष्ठ परम्परा रही है जो संस्कृति मंे आई विकृति के खिलाफ सदा लड़ते रहे है। छुआछूत के खिलाफ भारत में जारी संघर्ष का नेतृत्व आज भी गोरक्षपीठ कर रहा है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है भारत मानवता की भूमि है। भारत देवभूमि है और भारत एक समरस, संवेदनशील और सभी में एक ही परमात्मा का अंश मानने वाले दर्शन की भूमि है। अतः कालान्तर में आयी छुआछूत जैसे विकृति का भारतीय समाज में होना एक अभिशाप है। उन्होंने आगे कहा राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एक करने का योगी आदित्यनाथ जी जो प्रयास कर रहे है, देश का सन्त समाज उनका नेतृत्व स्वीकार करता है। हम सभी हिन्दू समाज की रूढ़िगत व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर भारत में एक ही जाति की स्थापना में लगे है, वह हिन्दू जाति होगी।
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