गोरखनाथ मंदिर से कथा का समापन

श्रद्धा विश्वास मार्ग पर चलते रहोगे तो निश्चय ही परमात्मा की प्राप्ती



गोरखपुरए 17 सितम्बर। ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज 50वींपुण्यतिथि एवं महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज जी की पांचवी पुण्यतिथि समारोह के अन्तर्गत श्री गोरक्षनाथ मन्दिर में चल रहे ष्श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञष् में आज समापन दिन कथाव्यास अनन्त श्रीविभूषित जगद्गुरू रामा
नुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने रूखमणि विवाहए सुदामा चरित्रए मार्कण्डेय भगवान की कथाए सुकदेव पूजन कथाए राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाई।
समापन के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराजए माननीय मुख्यमंत्रीए उ0प्र0 ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि कथा के माध्यम से हमें ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है जिससे हम अच्छा करने के लिए सदैव प्रेरित होते है। दुनिया के अन्दर किसी भी मत.मजहब की उतनी आयु नही है जितने वर्षों से हम श्रीमद्भगवत कथा सुनते आ रहे है। पॉच हजार वर्षो से ऐसा केवल भारत में देखा जाता है कि एक वक्ता हो और तीन.चार घण्टे तक बोलता हो और हजारों की संख्या में लोग पूरे मनोयोग से उसे सुनते हो। यही कारण है कि बाकी देशों के लोगों को हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा पर आश्चर्य होता है। यही आस्था भारत को जीवन्त और पवित्र बना रखा है। भारतीय मनीषियों ने शब्द को ब्रह्म माना है भागवत महापुराण की कथा सुनने से मनुष्य का जीवन सुखमय हो जाता है और वह स्वतः गौरवान्वित महसूस करता है क्योकि जीवन के तमाम रहस्यों का समाधान कथाओं के माध्यम से रहता है। ये कथाये हमारे इतिहास को जीवन्त और अक्षुण्य रखी है। गोरक्षपीठाधीश्वर ने कथाव्यास सहित श्रोताओंए यजमानों तथा व्यवस्था में जुड़े लोगों को आशीर्वचन देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कथाव्यास ने श्रीकृष्ण राम संकीर्तण से कथा प्रारम्भ करते हुए कहा कि जब भगवान की असीम कृपा होती है तब सत्संग का अवसर मिलता है और कथा सुनने से ही जीव का भाग्य का उदय होता है। अज्ञान के द्वारा उत्पन्न मोह भागवत भजन से समाप्त हो जाता है और व्यक्ति मोही के बजाय प्रेमी बन जाता है। जैसे सम्पति में लोगो का मोह हो जाता ठीक उसी प्रकार भक्तों के लिए कथा में मोह हो जाता है क्योंकि कथा और भगवान ही परम धन है। मीरा जी ने कहा ष्पायो जी मैने रामरतन धन पायोष् मीरा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से बड़ा कोई धन नहीं है। एक जीव जब दूसरे जीव से मिलता है तो केवल जन्म मरण की ही चर्चा करता हैए यही बन्धन का कारण इसलिए भगवान गीता में कहते है जो जीव मेरे जन्म कार्य का गायन करता उसे मैं जन्म कर्म के अनुसार अपने धाम में बुला लेते है। हम जब अपने जीवन को दैहिकए दैविकए भैविक तॉव से तपाते हैए तो कोई सद्गुरू आकर भगवद् शरणागति करा देते है उसे भगवान की शरण में लगा देते है। जिस प्रकार दूध को गर्म कर के गोपिया थोड़ी दही डाल देती दही डालने के बाद चुप चार रख दो यदि हिलाते डुलाते रहोगे तो दही नहीं जमेगा। उसी प्रकार सदगुरू के द्वारा शरणागति करा देने के बाद यदि श्रद्धा विश्वास से बताये मार्ग पर चलते रहोगे तो निश्चय ही परमात्मा की प्राप्ती हो जायेगी। इसके बाद भी उस दही की विपत्ती कम नहीं हुई गोपियॉ एक बड़ी मढ़की में दही डालकर उपर मथानी डालकर उस दही के टुकड़े.टुकड़े कर दिया लेकिनए जिसने इतने प्रहार सहने के बाद हार नहीं मानीए वह तो नवनीत बन गया और जो नीचे बैठ गया वह छाछ रह गया। भगवान नवनीत के लिए मचल जाते है। जीव को कभी हार नहीं मानना चाहिए धैर्य ही परमात्मा की प्राप्त कराता है। भगवान कहते जो मुझे जैसा भजता है मैं भी उसे वैसे ही भजता हूॅ। भक्त मेरे लिए आंसु बहाते है तो भगवान भी अपने भक्तो के लिए रोते हैं। उदाहरण है कृष्ण और सुदामा।
कथाव्यास ने आगे कहा कि भगवत कथा का फल तभी मिलता है जब आचार्य को दक्षिणा दे दिया जाय और हमें आप दक्षिणा रूप में यह आशीर्वाद दे कि मेरा मन भगवत भजन में लगा रहे। मेरा मन भगवत में तीन वचन देंरू पहला. संयुक्त परिवार की रक्षा करेगें एक साथ भजन और भोजन करेगें। दूसरा. सात्विक आहारए बिहारए विचार रखेगेंए तीसरा ष्हिन्दुत्वष् की रक्षा हेतु जब भी गोरक्षपीठ से आह्वाहन हो बाल.बच्चे समेत घर से निकल पड़े। उन्होनें कहा कि हम कथावाचक है फिर भी इस पीठ के राष्ट्रीय.सामाजिक अभियानो के हम ऋषि है और जब भी मेरे किसी प्रकार के सहयोग की इच्छा मात्र की जायेगी मैैं ष्वाचा.मनसा.कर्मणाष् उपस्थिति रहूॅगा।
ष्श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञष् ज्ञान.भक्ति.दया का संगम है। भागवत कथा मनुष्य के तीनों प्रकार के दुःखों का नाश करती है। यह कथा सर्वथा निवृत्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ का सप्तदिवसीय आयोजन के पीछे सामाजिक.राष्ट्रीय जीवन में सुख.शान्ति की स्थापना मुख्य उद्देश्य होता है और इस वर्ष की कथा ने भी यह प्रमाणित किया है।
कथावाचक ने कहा कि वाणी को बहुत संभालकर बोलना चाहिये। वाण से ज्यादा वाणी खतरनाक है। वाण का घाव भर जाता है किन्तु वाणी का घाव नही भरता। एक द्रोपदी की एक कटुवाणी ने महाभारत का बीजारोपण किया। यही से भागवत महात्म की ओर कथा मुड़ती है और कथाव्यास कह पड़ते है कि भागवत अद्वैतदर्शन का ग्रन्थ है। यह जीवन जीने की कला का ग्रन्थ है। भक्त को भगवान को मिलाने का ग्रन्थ है। भागवत के मार्ग पर चलने में देरी हैए प्रहुॅचने में देरी नही और भागवत कथा जरासंघ का बधए शिशुपाल का बधए हस्तिनापुर में यज्ञ का आयोजन से होते हुए सुदामा चरित्र पर केन्द्रीत हो जाती है।
कथावाचक संदर्भ बदलते हुए कहा कि अधार्मिकए अपराधियोंए आतंकियों के सामने भय से भले कुछ कोई न करें किन्तु अन्ततः समाज उसका तिरष्कार कर देता हैए उनका पतन सुनिश्चित है। रावणए कंसए हिरण्यकशिपुए हिरण्याक्ष जैसे असुरए इसके प्रमाण है। भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया। वसुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त किया तथा महाराज उग्रसेन को मथुरा के सिंहासन पर आसीन किया। सान्दीपनी के आश्रम में दीक्षा ग्रहण की ओर सुदामा आदि गुरू भाइयों के साथ गुरूकुल का जीवन व्यतीत किया। वस्तुतः  गुरूकुल मनुष्य बनाते थे। आज भी बचपन को सवॉरना आवश्यक है। भावी संतति में संस्कार डालना आवश्यक है। मकान और दुकान तो वह स्वंय बना लेगा। अपनी परम्पराए संस्कृति का ज्ञान कराना  शिक्षालयों का मुख्य उद्देश्य होता है।
श्रीमद्भागवत कथा के  पूर्णाहुति के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश परमपूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराजए जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराजए पूर्व केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती जीए स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने व्यासपीठ की आरती में सम्मिलित हुऐ। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा यज्ञ के यजमानों श्री महन्त रविन्द्रदास जी महाराजए श्री ईश्वर मिश्रए श्री सीताराम जायसवालए श्री जवाहरलाल कसौधनए श्री पुष्पदन्त जैनए श्री ओम प्रकाश जालानए श्री चन्द्र प्रकाश अग्रवालए श्री गंगा रायए श्री अरूण कुमार अग्रवाल उर्फ लाला बाबूए श्री विकास जालानए श्री संतोष कुमार अग्रवालए श्री महेश पोद्दारए श्री जितेन्द्र बहादुर चन्दए श्री जितेन्द्र बहादुर सिंहए श्री महेन्द्र पाल सिंहए श्री मारकण्डेय यादवए श्री गोरख सिंहए श्री ओमप्रकाश कर्मचन्दानीए श्रीमती उर्मिला सिंहए श्री रेवती रमणदास अग्रवालए श्री अवधेश सिंहए श्री अजय कुमार सिंहए श्री प्रदीप जोशीए श्री अतुल सर्राफए श्री मृत्युजय  सिंहए श्री चन्द बंसल आदि ने सपरिवार व्यास पीठ का पूजन किया। यजमान महेश पोद्दारए सीताराम जायसवालए जवाहरलाल कसौधन आदि ने सात दिनों तक कथा सुनाने वाले कथाव्यासए वाद्ययंत्रों पर उनके सहयोगी सहित मंच पर उपस्थित संत महात्माओं का उत्तरीय ओढ़ाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महन्त रविन्द्रदास जी महाराजए स्वामी प्रपन्नाचार्य जीए अरूणेश शाही आदि लोग उपस्थित थे। संचालन डा0 श्रीभगवान सिंह ने किया।


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