गोरखपुर। दुर्गाबाणी में नौ दिन से चल रहे धार्मिक अनुष्ठान के बाद मंगलवार को विजयादशमी के दिन मां की विदाई का दिन था। बंगाली परिधानों में सुजित परंपरागत सभी सुहागिनों ने सिंदूर की होली खेली। इस दिन जहां बाकि जगहों मां दुर्गा के पांडालों में हवन-पूजन का कार्यक्रम चल रहा था, तो वहीं दुर्गाबाणी के पांडाल में मां को विदा करने के लिए बंगाली सुहागिनों ने एक रंग की साड़ी में अपने रिति-रिवाजों के बीच मां को खुशी-खुशी विदा किया। दुर्गा वाणी परिसर के दुर्गा पांडाल में दोपहर दो बजे के करीब बड़ी संख्या में सुहागिनों मौजुद रहीं। सबसे पहले सभी ने एक दुसरे मांग संजाई और सारे गिले-शिकवे भुलकर एक दुसरे के गले मिली। इसके बाद शुरु हुई सिंदुर की होली जो करीब एक घंटे तक चली। इस बीच सभी सुहागिनों ने एक दुसरे को टीका किया, मांग संजाई और सिंदुर से होली खेली। विजयादशमी के दिन बंगाली सुहागिनों द्वारा सिंदूर खेलना सदियों से चला आ रहा हैं। बंगाली समिति के लोंगो का मानना हैं कि नवरात्र में मां दुर्गा अपने पिता के घर यानी मायके आती है। उसके दस दिन बाद फिर वह अपने ससुराल वापस जाती है। इसलिए जिस तरह किसी सुहागिन लड़की की विदाई की जाती है। ठीक वैसे ही विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की विदाई के समय उनको बकायदा मिठाई पान और दही खिलाते हैं। सिंदूर शादीशुदा महिलाओं की निशानी होती है। मां दुर्गा को सुहागिन माना जाता है। इसलिए दशमी के दिन बंगाली महिलाएं मां दुर्गा की मांग में सिंदूर भरकर एक दूसरे की मांग भरती हैं। इसके बाद वे एक दूसरे को सुहागन रहने का आशीर्वाद भी देती हैं। फिर मां अगले वर्ष आने का निवेदन करती हैं। सिंदूर होली खेलते समय सभी सुहागिनें सफेद साड़ी जिसमें लाल बॉर्डर बना होता है पहन अलग ही दिखती हैं। दर्पण विसर्जन मां दुर्गा की स्थापना के बाद पुरोहित के अलावा कोई और प्रतिमा को हाथ नही लगा सकताइस दौरान मां का भोग भी दीक्षा प्राप्त लोग ही बना सकते है। दशमी के दिन पहले दर्पण विसर्जन करते है। शारदीय नवरात्र में नौ दिन मां दुर्गा की पूजा करने के बाद दसवे दिन मां को विदाई दी गई। दुर्गाबाणी पर बंगाली सुहागिनें एक रंग की साड़ी में परंपरागत ढ़ग से मां दुर्गा की विदाई की। यहां पर दशमी के दिन सभी बंगाली सुहागिनें मां को सिंदूर लगाकर होली खेलती है, मां को सिंदूर लगाती हैं। इस दिन ये एक-दूसरे से गले लगकर पुराने गिलेशिकवे भी दूर करती हैं। बंगाली समाज का ऐसा मानना है कि मां को सिंदूर लगाने से सुहागिन औरतों के परिवार पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
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