महागौरी की उपासना से नष्ट होते हैं पाप
नवरात्र का आठवां दिन मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी का दिन है। मां महागौरी अपने भक्तों को आंतरिक शक्तियों से सम्पन्न बनाती हैं। इनकी उपासना से भक्तों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप उसके पास कभी नहीं आते। मां का वर्ण गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- अष्टवर्षा भवेद् गौरी। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है।
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभ दद्यान्महादेवप्रमाददा।।
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