स्कंद माता को क्यों कुमार और शक्ति कहा जाता है

सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री हैं स्कंद माता



मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय विराजमान हैं। इनकी की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद का लालन-पालन स्कंदमाता ने किया था। इसलिए इन्हें स्कंदेव की माता होने का गौरव प्राप्त है।


सिंहासनगतानित्यं पद्माश्रितकरद्वया।


शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥


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