अपने भक्तों के हर दुःख हरने वाले पवनपुत्र मारुतिनंदन को चोला चढ़ाने से जहां सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वहीं बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। ज्योतिषचार्य शरद चंद्र मिश्र के अनुसार हनुमानजी की उपासना से बल, बुद्धि और ज्ञान तो मिलता ही है, उन्हें सिंदूर और तेल का चोला चढ़ाने से मूर्ति का स्पर्श होता है, इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। निश्चित रूप से इसका असर मनुष्य की तेजस्विता पर पड़ता है और शरीर को लाभ मिलता है। जिन लोगों को शनिदेव की पीड़ा हो उन्हें बजरंग बली को तेल-सिंदूर का चोला अवश्य चढ़ाना चाहिए।
बहुत कम लोगों को पता होगा कि हनुमान मंदिरों पर और प्रतिमाओं पर लाल रंग की ध्वजा क्यों लहराती है। दरअसल लाल रंग भी मंगल का प्रतीक है इसके साथ ही यह चेतावनी भी देता है कि यदि आप संयम और सतर्कता से अपनी जीवनचर्या नहीं चलाएंगे तो खतरे में पड़ सकते हैं। हनुमान जी का चरित्र सेवा और समर्पण का अद्भत प्रतीक है। वे अपने प्रभु राम पर सर्वस्व अर्पण करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। पुराणों में कहा गया है कि प्रभु राम की सेवा की तुलना में मारुतिनंदन को शिवत्व अथवा ब्रह्मत्व की इच्छा भी कौड़ी बराबर लगती थी।
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