नाथ संप्रदाय का केंद्र है गोरखनाथ मंदिर


गोरखपुर। बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही इस शहर का नाम गोरखपुर रखा गया है। यह मंदिर नाथ संप्रदाय का केंद्र है। दरअसल, प्राचीन काल से चले आ रहे नाथ संप्रदाय को गुरु मत्स्येंद्रनाथ नाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ ने पहली बार व्यवस्थित किया और गोरखनाथ ने इस संप्रदाय के बिखराव, योग विद्याओं को एकत्र कियानाथ संप्रदाय की मान्यता के अनुसार गोरखनाथ जी शिव के साक्षात् स्वरूप हैं। यहां पहले मत्स्येंद्रनाथ और बाद में गोरखनाथ तपस्या करते थे। गोरखनाथ के लिए ये सम्मान इसलिए जुड़ा है क्योंकि नाथ पंथ के सिद्धांतकार और प्रवर्तक के तौर पर उनकी भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही है। सैयद अहमद अलीशाह की लिखी महबूब-उत-तवारीख में कहा गया है कि गोरखपुर पहले एक निर्जन वन में साधु-संत रहते थे और गोरखनाथ ने इसीलिए इसे अपनी तपोस्थली बनाया था। यह मंदिर नाथ संप्रदाय की आस्था का केंद्र है। यहां मकर संक्रांति के पर्व पर आयोजित होने वाले खिचड़ी मेले में लाखों लोग बाबा गोरक्षनाथ का दर्शन करने आते हैं। आमतौर पर इस मठ की छवि कट्टर हिंदूवादी की रही है मगर ये मेला इस छवि को तोड़ता भी है। 


शेष अगले अंक में........ 


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