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पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए लक्ष्मी व श्रीगणेश की खड़ी मूर्तियां

- घर रसोई घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में भी बनाया जा सकता है, यदि घर में पर्याप्त स्थान न हो तो। पूजन में मूर्तियां अधिक न रखें। इस बात का विशेष ध्यान रहे कि भगवान श्रीगणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियां खड़ी स्थिति में न हो।
- पूजा स्थल पूर्वी या उत्तरी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में होना चाहिए चूंकि ईश्वरीय शक्ति ईशान कोण से प्रवेश कर नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) से बाहर निकलती है।
- पूजा करने वाले का मुंह पश्चिम में हो तो अति शुभ रहता है, इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व की ओर होना चाहिए। शौचालय तथा पूजा घर पास-पास नहीं होना चाहिए।
- पूजा स्थल के नीचे कोई भी अग्नि संबंधी वस्तु जैसे इन्वर्टर या विद्युत मोटर नहीं होना चाहिए। इस स्थान का उपयोग पूजन सामग्री, धार्मिक पुस्तकें, शुभ वस्तुएं रखने में किया जाना चाहिए।
- पूजा स्थल के समक्ष थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके। पूजा स्थल के ऊपर यदि टाण्ड न बनाएं और यदि हो भी तो उसे साफ-सुथरी रखें। कोई कपड़ा या गंदी वस्तुएं वहां न रखें।
- पूजा स्थल का उपयोग ध्यान, संध्या या योग के लिए भी किया जा सकता है। इस स्थान को शांत रखें। धीमी रोशनी वाले बल्ब लगाएं। अंधेरा व सीलन न हो। जब भी आपका मन अशांत हो, यहां आकर आप नई ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
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