मंत्र सिद्धि और साधना के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं ये 9 दिन, गुप्त नवरात्र 25 जनवरी से 3 फरवरी तक
सालभर में 4 नवरात्र होते हैं, शारदीय और बासंतिक के आलावा दो गुप्त नवरात्र जो आषाढ और माघ मास के शुक्लपक्ष में आते हैं
गोरखपुर। गुप्त नवरात्र हिंदुओं के महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। लोगों को पौराणिक समय से इसमें आस्था और विश्वास है। मुख्य रूप से यह देवी मां शक्ति को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता हैए ताकि जीवन में कोई तनाव न हो। मान्यता है कि यदि आपकी कुछ समस्याएं हैं, तो आप किसी विशेष समस्या के लिए विशेष मंत्रों का जप करके उन समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
- गुप्त नवरात्र तारीख और मुहूर्त
गुप्त नवरात्र 25 जनवरी से 3 फरवरी तक हैं। नवरात्र पारायण 4 फरवरी को होगा। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 25 जनवरी को प्रतिपदा तिथि को सुबह 9:53 बजे से 10:49 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:17 बजे से दोपहर 1:01 बजे तक रहेगा।
- दश महाविद्याओं की पूजा
देवी भागवत के अनुसार जिस प्रकार चैत्र और शारदीय नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र के दौरान साधक
- मां काली,
- तारा देवी,
- त्रिपुर सुंदरी,
- भुवनेश्वरी माता,
- माता छिन्नमस्ता,
- त्रिपुर भैरवी,
- मां धूमावती,
- मां बगलामुखी,
- मां मातंगी और
- मां कमला देवी की पूजा करते हैं।
साल में 4 नवरात्र
देवी पुराण के अनुसार एक साल में चार बार नवरात्री मनाई जाती है। हिंदी पंचांग वर्ष से पहली वासंतिक नवरात्र चैत्र (राम नवमी) साल के पहले माह में आती है तो दूसरी साल के चौथे माह यानी आषाढ़ में आती है। वहीं तीसरा शारदीय नवरात्र अश्विन मास में और ग्यारहवें महीने में चौथी बार नवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। इन चारों नवरात्रों में आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। जबकि दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इनके अलावा अन्य 2 नवरात्र को गुप्त माना जाता है। इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
तंत्र साधकों और संन्यासियों के लिए महत्वपूर्ण नवरात्र
एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल चार नवरात्र होते हैं। इन चार नवरात्र में दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्र होते हैं। चैत्र और आश्विन माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक इन 9 दिनों को प्रत्यक्ष नवरात्र माना जाता है। इनका विशेष महत्व है। वहीं आषाढ़ और माघ के नवरात्र गुप्त नवरात्र की श्रेणी में रखे गए हैं। नवरात्र गुप्त तंत्र साधकों और संन्यासियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
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