प्रति धृतिः क्षमा दमो-स्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीविद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम्॥
द्वारा किया। इस मौलिक उन्हीं से विश्वासश्रयतां धर्म सर्वस्वं श्रुत्वा चैव अनवर्तयताः। आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत॥ (धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये) हिन्दू धर्म (संस्कृत सनातन धर्म) विश्व के सभी बड़े धमों में सबसे पुराना धर्म हैये वेदों पर आधारित धर्म है, जो अपने अन्दर कई अलग अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैये दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, पर इसके ज्यादातर उपासक भारत में हैं और विश्व का सबसे ज्यादा हिन्दुओं का प्रतिशत नेपाल में है। हालाँकि इसमें कई देवीदेवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन असल में ये एकेश्वरवादी धर्म हैहिन्दी में इस धर्म को सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इंडोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम हिन्दु आगम है। हिन्दु केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नही है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है हिन्सायाम दूयते या सा हिन्दु अर्थात जो अपने मन वचन कर्म से हिंसा से दूर रहे वह हिन्दु है और जो कर्म अपने हितों के लिए दूसरों को कष्ट दे वह हिंसा है। नेपाल विश्व का एक मात्र आधुनिक हिन्दू राष्ट्र था (नेपाल के लोकतान्त्रिक आंदोलन के पश्चात नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप मे नयी सविधान सभा द्वारा धोषित किया गया है) द्वारा होकर अपने विमुख जीवन जैन ग्रंथ, तत्त्वार्थ सूत्र में 10 धर्मों का वर्णन है। उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य।
हिन्दू धर्म
सारे संसार में धर्म केवल एक ही है, शाश्वत सनातन हिन्दू धर्म। ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जो धर्म चला आ रहा है, उसी का नाम हिन्दू धर्म है। इसके अतिरिक्त सब पंथ, मजहब, रिलिजन मात्र है।
इस्लाम धर्म
इस्लाम धर्म कुरान पर आधारित है। इसके अनुयाइयों को मुसल्मान कहा जाता है। इस्लाम केवल एक ही ईश्वर को मानता है, जिसे मुसल्मान अल्लाह कहते है। हज़रत मुहम्मद अल्लाह के अन्तिम और सबसे महान सन्देशवाहक (पैगम्बर या रसूल) माने जाते हैं। इस्लाम में देवताओं की और मूर्तियों की पूजा करना मना है। इस्लाम शब्द अरबी भाषा का (सल्म) से उच्चारण है। इसका मतलब शान्त होना है। एक दूसरा माना (सर्मपण) होना है- परिभाषा; व्यक्ति ईश्वर के प्रति समर्पित होकर ही वास्तविक शान्ति प्राप्त करता है। इस्लामी विचारों के अनुसार - ईश्वर द्वारा प्रथम मानव (आदम) की रचनाकर इस धरती पर अवतरित किया और उन्हीं से उनका जोड़ा बनाया जिससे सन्तानुत्पत्ती का क्रमारम्भ हुआ, यह सन्तानोत्पत्ति निर्बाध जारी है। आदम (उन पर शान्ति हो) को ईश्वर (अल्लाह) ने जीवन व्यतीत करने हेतु विधि-विधान (दीन, धर्म) से सीधे अवगत कर दिया, उन्हे मानवजाति इस्लाम शब्द अरबी भाषा का (सल्म) से उच्चारण है। इसका मतलब शान्त होना है। एक दूसरा माना (सर्मपण) होना है-परिभाषा; व्यक्ति ईश्वर के प्रति समर्पित होकर ही वास्तविक शान्ति प्राप्त करता है। इस्लामी विचारों के अनुसार - ईश्वर द्वारा प्रथम मानव (आदम) की रचनाकर इस धरती पर अवतरित किया और उन्हीं से उनका जोड़ा बनाया जिससे सन्तानुत्पत्ती का क्रमारम्भ हुआ, यह सन्तानोत्पत्ति निर्बाध जारी है। आदम (उन पर शान्ति हो) को ईश्वर (अल्लाह) ने जीवन व्यतीत करने हेतु विधि-विधान (दीन, धर्म) से सीधे अवगत कर दिया, उन्हे मानवजाति के प्रथम ईश्वरीय दूत के पद (पेगम्बर) पर भी आसीन किया। आदम की प्रारम्भिक सन्ताने धर्म के मौलिक सिद्दान्तो पर -एक ईश्वर पर विश्वास, म्रत्यु पश्चात पुन:जीवन पर विश्चास, स्वर्ग के होने पर, नरक के होने पर, फरिश्तौ (देवताओ) पर विश्वास, ईशग्रन्थो पर विश्वास, ईशदूतो पर विश्वास, कर्म के आधार पर दन्ड और पुरष्कार पर विश्वास, इन मौलिक सिद्दन्तो पर सशक्त विश्वास करते थे ? अपनी सन्तती को भी इन मौलिक विचारो का उपदेश अपने वातावरण, सीमित साधनो, सीमित भाषाओ, सन्साधनो के अनुसार हस्तान्तरित करते थे। कालान्तर मे जब मनुष्य जाति का विस्तार होता चला गया और वह अपनी आजीविका की खोज में, प्रथक-प्रथक एवं जनसमूह के साथ सुदूरपूर्व तक चारो ओर दूरदूर तक आबाद होते रहे। इस प्रकार परिस्थितीवश उनका सम्पर्क लगभग समाप्त प्राय होता रहा। उन्होने अपने मौलिक ज्ञान को विस्म्रत करना तथा विषेश सिद्दन्तो को जो अटल थे, अपनी सुविधानुसार और अपनी पाश्विक प्रव्रत्तियो के कारण अनुमान और अटकल द्वारा परिवर्तित करना प्रचलित कर दिया । इस प्रकार अपनी धारणाऔ के अनुसार मानवजाति प्रमुख दो भागो मे विभक्त हो गए। एक समूह ईश्वरीय दूतो के बताए हुए सिद्दन्तो (ज्ञान) के द्वारा अपना जीवन समर्पित (मुस्लिम) होकर सन्चालित करते। दूसरा समूह जो अपने सीमित ज्ञान (अटकल, अनुमान) की प्रव्रत्ती ग्रहण करके ईश्वरीय दूतो से विमुख (काफिर) होने की नीति अपनाकर जीवन व्यतीत करते। एक प्रमुख वचन प्रथम पेगम्बर (आदम, एडम) के द्वारा उद्दघोषित किया जाता रहा (जो ईश्वरीय आदेशानुसार) था!
ईसाई धर्म
ईसाई धर्म बाइबिल पर आधारित है। ईसाई एक ही ईश्वर को मानते हैं, पर उसे त्रिमूर्ति के रूप में समझते हैं परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा।
सिख धर्म
सिख धर्म सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, बराबरी, सहनशीलता, बलिदान, निडरता के नियमों पर चलते हुए एक निराले व्यक्तित्व के साथ जीते हुए उस ईश्वर में लीन हो जाना सिख का जीवन उद्देश्य है। इनका धर्मग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब है।
बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म काल्पनिक ईश्वर के अस्तित्व को नकारता और इस धर्म का केंद्रबिंदू मानव है। बौद्ध धर्म और कर्म के सिद्धान्तों को मानते है, जिनको तथागत गौतम बुद्ध ने प्रचारित किया था। बौद्ध गौतम बुद्ध को नमन करते हैं। बौद्ध धर्म ग्रंथ है।
जैन धर्म
जैन धर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है। जैन धर्म का अर्थ है - जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म। जैन कहते हैं उन्हें, जो जिन के अनुयायी हों। जिन शब्द बना है जि धातु से। जि माने-जीतना। जिन माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं जिन। जैन धर्म अर्थात जिन भगवान का धर्म। जैन धर्म में अहिंसा को परम धर्म माना जाता है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की प्राचीनता प्रामाणिक करने वाले अनेक उल्लेख अजैन साहित्य और खासकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं।
पथ और संप्रदाय
पंथ और संप्रदाय में अंतर करते हुए आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र मानते हैं कि पंथ वह है जिसमें विचार भले ही प्राचीन हों किन्तु आचार नया हो। भक्तिकालीन संतों की शिक्षाओं को आचार से जोड़ते हुए पंथ निर्माण की आरंभिक अवस्था का वर्णन करते हुए वे लिखते हैं कि, ये संत बातें तो वे ही कहते थे जो प्राचीन शास्त्रों में पहले ही कही जा चुकी , किंतु पद्धति अवश्य विलक्षण थी। केवल आचार की नूतनता के कारण ही ये पंथ कहलाते हैं, संप्रदाय नहीं। पंथ की स्थापना के लिए कुछ नियम उपनियम बनाये जाने भी आवश्यक होते हैं।
Comments