त्रेता युग से जल रही अरवंड ज्योति


महायोगी गोरखनाथ जी का कृतित्व और व्यक्तित्व युगान्तरकारी था। उनके आध्यात्मिक प्रभाव से जहां योग साधना में सदाचार, संयम और नैतिकता का पुनः प्रभाव बढ़ा वहीं सभी जातियों और वर्णों के भेद-भाव भी मिटा इसके साथ ही सभी के लिये योग साधना सुलभ हो गयी। समाजिक और सांस्कृतिक एकता के ऐसे उन्नायक ध्वजवाही सन्त गुरु गोरखनाथ जी और उनके अनुयायी सन्तों के लोक संग्रही कायों के कारण जहां सारे देश में गोरखनाथ जी और अन्य नाथ सिद्धों से सम्बन्धित मठ-मन्दिर और धूने बने, वहीं विभिन्न काल खण्डों में अमरकाय अयोनिज महायोगी गोरखनाथ जी के प्राकट्य और प्रभाव का भी वर्णन इतिहास एंव धर्म ग्रन्थों में देखने को मिलता है।


मंदिर परिसर में हैं कई दर्शनीय स्थल 


मंदिर के प्रांगण में सरोवर के सन्निकट महाबली भीमसेन का मन्दिर और साथ ही महन्त बाबा ब्रहमनाथ जी, योगिराज गम्भीर नाथ जी, युगपुस्ष ब्रहमलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की समाधि मंदिर तथा साथ ही मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के पश्चिम युगपुरुष ब्रहमलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की स्मृति में बना विशाल भवन है जो निश्चित ही अनोखा व दर्शनीय है जिसमें हमारे सभी पंथों के आराध्य देवी-देवताओं, महर्षियों और महापुरुषों की मूर्तियां प्रतिष्ठित है। इनके अतिरिक्त नवग्रह मंदिर, भगवान श्रीराम का मंदिर, विष्णु भगवान, माता संतोषी, बाल देवी, हट्ठी माता के मंदिरों के साथ-साथ विशाल यज्ञशाला भी मंदिर प्रांगण में ही स्थित है।


दिग्विजयनाथ ने दिलाई रव्याति


मकर संक्रान्ति के अवसर पर प्राचीन काल से ही यहां प्रति वर्ष श्रद्धालुओं का मेला लगता है। भीम सरोवर में स्नान और नाथ जी का दर्शन करने आये लाखों लोग मन्दिर में इस अवसर पर खिचड़ी चढ़ाते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं। यद्यपि यह मेला कब से प्रारम्भ हुआ यह बताना सम्भव नहीं है तथापि ब्रहालीन गोरक्षपीठाधीश्वर युगपुरुष महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज के समय में जहां गोरखनाथ मन्दिर और इसका परिसर राष्ट्र की सीमाओं को लांघ कर अन्तराष्ट्रीय ख्याति का महत्तवपूर्ण स्थान बना मास पर्यन्त चलने वाला खिचड़ी का मेला भी दूर-दूर तक विख्यात हो चुका है। शक्तिपीठ देवीपाटन को छोड़ कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ा कोई धार्मिक मेला नहीं लगता है। द्वारा प्रज्वलित कई देशों में है प्रभाव व आप बढ़ गयी। महायोगी प्रज्वलित है। आठवीं शताब्दी में मेवाड़ में एक चमत्कारी सिद्धियों और महान राजवंश की स्थापना करने कृपालुता से प्रभावित लोगों


Comments