भगवान की भक्ति करना सरल और सुखद है : नरेश जी शर्मा

गोरखपुर। सार्वभौम  गृहस्थ  संत नित्यलीलालीन भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार एवं महाभावनिमग्न  श्रीराधा बाबा की तपस्या स्थली गीता वाटिका के पावन प्रांगण में आयोजित *नवधा भक्ति एवं भरत चरित्र कथा*  के चतुर्थ दिवस फाजिल्का (पंजाब) से पधारे कथाव्यास श्री नरेश जी शर्मा ने व्यासपीठ से कथा प्रसंग का विस्तार किया।


भगवान की भक्ति करना सरल और सुखद है


" सरल सुखद मारग यह भाई ........


भक्ति के लिए सरलता चाहिए। हृदय जितनी जल्दी सरल बनेगा उतनी ही जल्दी भक्ति देवी हृदय में पधारेंगी । जप- तप साधन इसलिए किया जाता है कि हृदय में सरलता आ जाए। भक्ति करेंगे तो प्रेम बढ़ेगा और प्रेम होगा तो भक्ति होने लग जाएगी । प्रेम और भक्ति अन्योन्याश्रित हैं । भगवान से कोई भी संबंध बना लेना चाहिए । संबंध बनने पर ही प्रेम होता है ।
 तुलसीदास जी कहते हैं---" तोहि मोहि नाते अनेक मानिये जो भावे । ज्यों त्यों तुलसी कृपाल चरण शरण पावे ।। 


भक्ति देवी विराजती हैं *दीनता* के सिंहासन पर  ----" तू दयालु दीन हौं  तु दानि हौं भिखारी......
 द्वारेहूँ  भोर ही ते आज रहत जनम को भूखो  भिखारी ......


 तुलसीदास जी बार-बार अपने लिए *भिखारी* शब्द का प्रयोग करते हैं । भिखारी के दो विशेष गुण हैं -- पहला यह कि उसे अपने अपमान की चोट नहीं लगती है । दूसरा यह कि वह *आशा* नहीं छोड़ता ।


 भरत जी भी संगम के तट पर गंगा और यमुना जी से अपने क्षत्रिय धर्म का त्याग करके भीख मांगते हैं ----


मागउँ भीख त्यागि निज धरमू ..... (अपने क्षत्रिय धर्म का त्याग करके )


अरथ  न धरम न काम रुचि, गति न चहउँ निरबान।


जनम जनम रति राम पद, यह वरदान न आन।।


 प्रत्येक जन्म में मेरा श्री राम जी के चरणों में प्रेम होने के अतिरिक्त मुझे धर्म , अर्थ ,काम, मोक्ष कुछ भी नहीं चाहिए । 


ठाकुर जी को बस हमसे एक ही अपेक्षा है कि हम उन्हें प्रेम करें ---


रामहि केवल प्रेम पियारा। जानि लेहु जो जाननिहारा।। 
 जीवन की हर चीज रामजी से जोड़ दें। जो क्रियाएं दिनभर करनी हैं उन सबको राम जी से जोड़ दें  ----
तुमहि निवेदित भोजन करहीं .....


भोजन के पहले ठाकुरजी को प्रणाम करें। भोजन की क्रिया भी भगवान से जोड़ दें तो वह भोजन भी भजन बन जाएगा। कामनाओं की पूर्ति के लिए भजन नहीं होना चाहिए। भजन होना चाहिए केवल प्रेम की प्राप्ति के लिए। तभी भगवान हमें अपना मानेंगे। अपनेपन के बिना प्रेम नहीं होता। निषादराज कहते हैं ----


राम कीन्ह आपन जब ही तें । भयउँ भुवन भूषन तब ही तें ।।


सायंकाल श्री राधा माधव संकीर्तन मंडल के श्री मिंटूजी (बरेली) तथा अन्यान्य भक्तजनों द्वारा भगवन्नाम- संकीर्तन किया गया। कथा एवं संकीर्तन 18 फरवरी 2020 तक चलेगा।


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