पूर्णिमा तिथि का महत्व
आचार्य पंडित शरद चन्द्र मिश्र के अनुसार धर्म में पूर्णिमा की तिथि का बहुत महत्व है। इस दिन पृथ्वी के किसी भाग में चन्द्र ग्रहण अवश्य रहता है। यह पर्व की तिथि है। पूर्णिमा को देवपूजन की पवित्र तिथि के रूप में मान्यता दी गई है। इस तिथि को बहुसंख्यक धार्मिक लोग दिन भर व्रत रहकर सायंकाल नारायण की कथा का आयोजन करते है और दान पुण्य भी करते हैं। श्री सत्यनारायण पूजन के नैवेद्य में पंजीरी (चूरमा) सवा पाव या सवा सेर बनाये। भगवान को नैवेद्य सवाया के अनुपात में ही अर्पित किया जाता है। अपनी शक्ति के अनुसार पंचमेवा, नाना प्रकार के मिष्ठान्न, ऋतुओं में उपलब्ध होने वाले सामयिक फल का नैवेद्य चढ़ायें परन्तु फल मे केला का होना नितान्त आवश्यक है। विष्णु पूजन में पंचामृत को अवश्य रखना चाहिए। इसमें स्वस्तिवाचन, संकल्प, वरूणपूजन, गणेश पूजन, मातृका पूजन, नवग्रह पूजन और रक्षाबंधन और नारायण पूजन इत्यादि कृत्य होते है।
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