घर एक ऐसी जगह होती है जहां हम खुलकर सांस लेना चाहते हैं। जहां मीठी-सी नींद पलक झपकते ही आ जाएजहां कभी पूरे परिवार के साथ हंसी की रिवलरिवलाहट सुनाई दे तो कभी कोई कोना हमारे एकांत का साथी बने। इसी घर में जब कलह और तनाव मेहमान बनते हैंतो सारे घर की शांति चली जाती है।
ईशान कोण पर बनाएं पूजा घर
- दरवाजों के कब्जों में तेल डालते रहें अन्यथा दरवाजा खोलते या बंद करते समय आवाज करते हैं, जो वास्तु के अनुसार अशुभ तथा अनिष्टकारी होता है।
- घर में कम से कम वर्ष में दो बार हवन में यज्ञ करवाएं। अगर भवन में जल प्रवाह ठीक न हो या पानी की सप्लाई सही दिशा से न हो तो उत्तर-पूर्व दिशा से यानि ईशान कोण से भूमिगत जल की टंकी का निर्माण कर उसी से भवन में जल की सप्लाई करें। ऐसा करने से यह वास्तुदोष समाप्त हो जाएगा तथा जल की गलत दिशा से सप्लाई भी बंद हो जायेगी।
- घर में पूजास्थल का निर्माण ईशान कोण में करवाए।
- घर का अग्र भाग ऊंचा तथा पृष्ठ भाग नीचा हो तो निचले भाग में डिश एंटीना, टीवी एंटीना आदि को अगले भाग से ऊंचा कर लगा दें। यदि घर का पूर्व एवं आग्नेय निचले हों और वायव्य तथा पश्चिम ऊंचे हों तो प्लाट के स्वामी को लड़ाई-झगड़े, विवाद के कारण मानसिक यातना सहनी पड़ती है।
- घर का वायव्य कोण निचला होने पर भी शत्रुओं की संख्या बढ़ती है अगर किसी घर का दक्षिण और आग्नेय निचला हो, वायव्य और उत्तर ऊंचे हों तो घर का मालिक कर्ज और बीमारी के कारण मानसिक तनाव में रहता है।
- जिस घर का नैऋत्य और दक्षिण निचला होता है और उत्तर और ईशान ऊँचा होता है तो ऐसे घरों के मालिक को अपवित्र कार्य करने और व्यसनों का दास बनने से मानसिक अशांति रहती है।
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