अनुलोम-विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को नाड़ी शोधक प्राणायाम भी कहते है। अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियां स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं।
- अनुलोम-विलोम की विधि
दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर देंउसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें। अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें। इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे- धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिएइस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।
लाभ
इससे शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं। रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं। इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है। इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है। अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है। अनुलोम-विलोम से हृदय को शक्ति मिलती है। इस प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दृषित तत्वों को बाहर निकाल देती है। शुद्ध रक्त शरीर शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं और सुविधानुसार इसकी अवधि तय की जा सकती है।
सावधानियां
कमजोर और एनीमिया से पीड़ित रोगियों को इस प्राणायाम के दौरान सांस भरने व छोड़ने में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिएकुछ लोग समय की कमी के चलते जल्दी-जल्दी सांस भरने और निकालने लगते हैं। इससे वातावरण में फैला धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली में पहुंचकर अनेक प्रकार के संक्रमण को पैदा कर सकते है। प्रणायाम के दौरान सांस की गति इतनी सहज होनी चाहिए। प्राणायाम करते समय स्वयं को भी सांस की आवाज नहीं सुनायी देनी चाहिए।
- कपालभाती
योग की हर क्रिया कारगर होती है, लेकिन बात जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम को सबसे कारगर माना जाता है। कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। योग के आसनों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली एक रोचक प्रक्रिया है। दिमाग आगे के हिस्से को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। कपालभाती प्राणायाम करने के सही तरीके और इससे होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं।
कैसे करें कपालभाती
कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोडने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुंडलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।
फायदे
यह प्राणायाम आपके चेहरे पर कांति यानि चमक लाता है। इससे दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है खासकर पेट की, यानी यह वजन कम करने में भी कारगर आसन है। इसे अलावा इसके नियमित अभ्यास करने से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर हो जाती है। कपालभाती प्राणायाम का सबसे ज्याद प्रभाव पड़ता है शरीर और मन पर, क्योंकि यह मन से नकारात्मक तत्वों को दूर कर सकारात्मकता लाता है। थायराइड, चर्म रोग, आंखों की समस्या, दांतों की समस्या, महिलाओं की समस्या, डायबिटीज, कैंसर, हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य करना, किडनी को मजबूत बनाने जैसे सभी तरह की समस्याओं को दूर करने की क्षमता होती है। यानी यह एक ऐसा आसन है जो सभी तरह की समस्याओं का उपचार करता है।
बरतें सावधाना
कपालभाती व्यायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं, लेकिन जिन लोगों को सांस संबंधी समस्?या हो उनको चिकित्सक की सलाह के बाद ही यह आसन करना चाहिए। कपालभाती आसन एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या बनायें और निरोग रहें।
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