माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु करते हैं गंगा में वास, माघ पूर्णिमा 09 फरवरी को


  • माघ पूर्णिमा पर कैसे रखें व्रत और क्या है इसका महत्त्व?

  • माघ पूर्णिमा के महत्त्व का उल्लेख पौराणिक ग्रन्थों में मिलता है।

  • पौराणिक कथाओं के मुताबिक माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं।


गोरखपुर। माघ मास की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहते हैं। काशी से ज्योतिषाचार्य पंडित भारत मिश्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में एक मघा से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। इस बार माघ पूर्णिमा 09 फरवरी को है। प्रयागराज में एक महीने तक चलने वाला कल्पवास का समापन भी माघ पूर्णिमा के दिन ही होता है।



 व्रत विधि
माघ पूर्णिमा पर सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु की पूजा के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। इसके बाद जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, कंबल, तिल, गुड़, घी, फल और अन्न आदि दान करें। इस दिन सोने और चांदी का भी दान शुभ माना गया है। इसके अलावा इस दिन गौ (गाय) दान करने से विशेष लाभ मिलता है। माघ पूर्णिमा पर व्रत रखना शुभ फलदायक माना गया है। अगर संभव ना हो तो एक संध्या फलाहार किया जा सकता है। व्रत के दौरान किसी पर गुस्सा करना शुभ नहीं माना गया है। इसके अलावा घरेलू कलहों से भी बचना चाहिए। इस तरह माघ पूर्णिमा के व्रत को संयमता से रखा जाए तो पुण्य फल प्राप्त होता है।



महत्त्व
माघ पूर्णिमा के महत्त्व का उल्लेख पौराणिक ग्रन्थों में मिलता है। जिसके मुताबिक इस दिन देवता अपना रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयागराज आते हैं। जो श्रद्धालु प्रयागराज में एक महीने तक कल्पवास करते हैं उसका समापन माघ पूर्णिमा के दिन ही होता है। कल्पवास करने वाले सभी श्रद्धालु माघ पूर्णिमा पर गंगा माता की पूजा-अर्चना कर साधू, संतों और ब्राह्मणों को आदर से भोजन कराते हैं। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से शरीर के रोग नष्ट होते हैं।



माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त


तिथि आरंभ – फरवरी 08, 2020 को सायं 04:01 बजे से
तिथि का समापन – फरवरी 09, 2020 को अपराह््न 01:04 बजे तक 


माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पण कर प्रणाम करें। ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ इस मंत्र का कम से कम 108 बार विधिवत जाप करें। इसके बाद माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर काले तिल से पितरों का तर्पण और हवन करें। व्रत के दौरान झूठ बोलने से बचें।


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