नगर निगम में विज्ञापन के टैक्स के नाम पर चल रहा है बड़ा खेल
टैक्स की चोरी कर अधिकारी व कर्मचारी हो रहे हैं मालामाल
नगर आयुक्त ने कहा मामले की जांच कर होगी कार्रवाई
पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दृष्टि से लगे पौधे विज्ञापन की वजह से तोड़ रहे दम
गोरखपुर। 8 फरवरी, शनिवार।नगर निगम को जहां करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी से नुकसान हो रहा है तो वही अधिकारी नियम कानून को ताक पर रखकर अपनी जेबे गर्म करने में लगे हुए। जिसका खामियाजा नगर निगम क्षेत्र में रहने वाली जनता को भुगतना पड़ रहा है क्योंकि अधिकारी अपनी जेबे गर्म कर विकास कार्य को ठप कर दिया है और बजट का रोना रोकर विकास के नाम पर कुछ नहीं कर रहे है वही प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरखपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद को लेकर जनपद में जब भी आगमन होता है तो गोरखपुर को कुछ ना कुछ सौगात जरूर देते वही अधिकारी मुख्यमंत्री की सपने को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं।
यातायात बूथ के लिए पहले अनुमति फिर किया गया निरस्त
पुलिस अधीक्षक यातायात ने चौराहे पर 24 घंटे जवान तैनात रहे जिससे जाम की समस्या आने पर जवान तत्काल मौके पर पहुंच जाएं और जाड़ा गर्मी बरसात में रुकने के लिए उन्हें बेहतर व्यवस्था भी मिल सके ।यातायात बूथ लगाने के लिए नगर आयुक्त को 10 अक्टूबर 2019 को पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी की 24 स्थानों पर जवानों के विश्राम के लिए जगह दिया जाए जिसकी अनुमति मिलने के बाद पुलिस अधीक्षक यातायात ने मेसर्स ज्योति फ्लेक्स से अनुबंध कर 24 स्थानों पर यातायात बूथ लगाने का कार्य शुरू कर दिया । यातायात बूथों के निर्माण व मेंटेनेंस का खर्च अधिक आने पर पुलिस अधीक्षक यातायात ने बूथों पर प्रचार के लिए 4 नवंबर 2019 को नगर आयुक्त को पत्र भेजकर प्रचार सामग्री लगाने के लिए अनुमति मांगी थी। जवाब ना आने पर पुनः मेसर्स ज्योति फ्लेक्स ने टैक्स के लिए पुलिस अधीक्षक यातायात व नगर आयुक्त को 2 दिसंबर 2019 को पत्र दिया । जिसमें लिखा कि ट्रैफिक बूथों के निर्माण में अत्यधिक लागत आ रही है जिसके खर्चे हेतु उस बूथ के ऊपर प्रचार प्रसार करने की अनुमति प्रदान किया जाए और इस संबंध में जो भी टैक्स या किराया बनता है उसका भुगतान नियमानुसार करने को भी तैयार हूं। मीडिया में खबर प्रकाशित हो गई की ट्रैफिक बूथ का व्यवसायीकरण कर प्रचार सामग्री लगाई गई है। जिसे बिना सोचे समझे ही अधिकारियों ने फार्म के ऊपर अर्थदंड लगाते हुए ₹720000 का जुर्माना ठोक दिया और नगर आयुक्त ने अपने दिए गए अनुमति को समाप्त करते हुए बूथ हटाने का निर्देश दे दिया। अब सवाल उठता है कि एजेंसी जब टैक्स देने को तैयार है तब विभाग ने उसके ऊपर जुर्माना कैसे लगा दिया टैक्स देने के लिए एजेंसी लगातार पत्राचार के माध्यम से नगर निगम को अवगत कराता रहा लेकिन एजेंसी द्वारा अधिकारी को सुविधा शुल्क ना मिलने की एवज में अर्थदंड लगा दिया गया यह कहां तक न्याय उचित है जिसकी जांच की आवश्यकता है।
इस संबंध में नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वही महानगर में पर्यावरण को सुंदर बनाने के लिए नगर निगम द्वारा लगभग 50 हजार पौधरोपण किया गया। जिसमें से 5000 पौधों को सड़क के किनारे लगाया गया और उनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाने का जिम्मा नगर निगम कार्यकारिणी ने एक निजी कंपनी को दिया । जो उस पर प्रचार प्रसार कर रही है जिसकी वजह से पेड़ पूरी तरीके से ढक गए हैं और वह बिना हवा पानी की दम तोड़ रहे है। इस संबंध में महापौर सीताराम जयसवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर विज्ञापन की वजह से पेड़ नुकसान हो रहे हैं तो उन्हें हटा दिया जाएगा। ट्री गार्ड लगाने वाली एजेंसी से महज 260 ट्री गार्ड का ही टैक्स लिया जा रहा है जबकि नियमानुसार उससे 5000 ट्री गार्ड का टैक्स लेना चाहिए। नगर निगम की यह दोहरी नीति समझ से परे है हिंदी फिल्म का वह गाना ठीक बैठता है गैरों पर रहम अपनों पर सितम ऐ जाने वफा ऐसा जुल्म ना कर। फिलहाल अधिकारियों को अपने फायदे से मतलब है नगर निगम के राजस्व से कोई लेना-देना
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