तन और मन को शांत करता है शशांकासन

शशांक का शाब्दिक अर्थ खरगोश होता है। चूंकि इस आसन को करते हुए हम खरगोश की तरह हो जाते हैं इसलिए इसे शशांकासन कहा जाता है। इस आसन के असंख्य लाभ हैं। लेकिन इस आसन को करते हुए हमें अपनी सांस की गति का खास ख्याल रखना चाहिए नहीं तो अच्छे परिणाम की बजाय बुरे परिणाम सामने आ सकते हैं।


कैसे करें शशांकासन :-


निचे दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दोनो पैरों को मोड़कर पीछे की ओर यानी नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें और एड़ियों पर बैठ जाएं। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और हथेलियों को फर्श पर टिकाएं। अपने सिर को भी फर्श पर टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद कछ समय तक सांस रोककर रखें। फिर सांस लेते हुए शरीर में लचक लाते हुए पहले पेट को, फिर सीने को, फिर सिर को उठाकर सिर व हाथों को सामने की तरफ करके रखें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहें। कुछ समय तक सीधे होकर आराम करें। इसी क्रिया को 4 से 5 बार करें।



  • इस आसन का शुरुआत काफी हद तक शशांकासन करने से पहले वजासन का अभ्यास कर लें


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किसलिए है लाभदायक :-


तनाव है, उदर विकार है, मांसपेशियों में दिक्कत है, अत्यधिक क्रोध आता है। अगर आपको इस तरह की कोई भी दिक्कत है तो जाहिर है आप डॉक्टर का दरवाजा खटखटाएंगे। लेकिन अगर आप शशांकासन का हाथ थाम लें तो चिकित्सकों के द्वार पर भटकना नहीं पड़ेगा। जी, हां! शशांकासन कई मर्ज की अकेली दवा है।



  • शशांकासन हमारे शरीर और मन दोनों को प्रभावित करता है। चूंकि यह तनाव से दूर रखता है इसलिए असर शारीरिक विकारों में भी दिखता है। तनाव तमाम बीमारी की जड़ होता है। तनाव से अकसर पेट खराब रहने की आशंका बनी रहती है।

  • गैस होना, भूख न लगना आदि के लिए भी यह वजह है। ऐसे में शशांकासन हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है। चूंकि शशांकासन से हमारे पेट के निचले भाग पर दबाव पड़ता है इसलिए यह करने से कब्ज की शिकायत खत्म हो जाती है। 

  • शशांकासन की वजह से शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी घटाया जा सकता है। शशांकासन एड्रीनल ग्रंथी से होने वाले स्राव को नियमित करता है। शरीर में शिथिलता लाता है।

  • आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह आसन क्रोध यानी गुस्से को भी शांत करता है। अतः जो लोग शॉर्ट टेम्पर यानी गुस्सैल स्वभाव के हैं, उन्हें यह अवश्य करना चाहिए। इसकी वजह से वे अपने गुस्से पर काबू पाने में सक्षम हो सकते हैं।

  • विशेषज्ञों की मानें तो नियमित शशांकासन से हृदय रोग दूर होते हैं, फेफड़े, आते, यकृत, अग्न्याशय भी स्वच्छ होते हैं। इस आसन की मदद से नसें, नाड़ी लचीली होकर अच्छी तरह काम करती हैं।


 


 


 


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