16 से कालाजार मरीज को ढूंढेंगी फ्रंटलाइन वर्कर

-डब्ल्यूएचओ और पाथ की मदद से प्रशिक्षित हुए चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी


- दस्तक अभियान में घर-घर जाकर मरीजों को चिन्हित करेंगी आशा कार्यकर्ता


-कालाजार के संभावित मरीज की होगी टीबी और एचआईवी की भी जांच



देवरिया। जिले में 16 जुलाई से शुरू हो रहे दस्तक अभियान में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार के सक्रिय मरीज भी ढूंढेंगी। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कालाजार के एक्टिव केस डिटेक्शन (एसीडी) अभियान के जरिये जो भी संभावित मरीज ढूंढे जाएंगे उनकी कालाजार की आरके-39 जांच के अलावा अनिवार्य तौर पर टीबी और एचआईवी जांच भी कराई जाएगी। 


इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक वेबिनॉर आधारित प्रशिक्षण भी हो चुका है। वेबिनॉर में वेक्टर बार्न डिजीज परामर्शदाता (वीबीडी) डॉ.एसके पांडये समेत जनपद के सभी संबंधित चिकित्साधिकारी और स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षित हुए। प्रशिक्षण के दौरान जिले में आईआरएस 2020 के प्रथम चरण में अप्रैल से जून तक हुए छिड़काव की सराहना की गई। सीएमओ डॉ. अलोक कुमार पांडेय ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके सभी लोग अपने-अपने सीएचसी-पीएचसी से जुड़ी आशा कार्यकर्ता को कालाजार के संबंध में संवेदीकृत करेंगे और उन्हें कोविड काल में एसीडी को सफल बनाने के तौर तरीके बताएंगे। राज्य स्तर पर वेक्टर बार्न प्रोग्राम के संयुक्त निदेशक डॉ. वीपी सिंह द्वारा प्रशिक्षण के दौरान अभियान के सभी पहलुओं पर जो भी दिशा-निर्देश मिले हैं, उनका अनुपालन करवाया जाएगा। प्रशिक्षण में डब्ल्यूएचओ की तरफ से डॉ. तनुज और पाथ संस्था की ओर से डॉ. ज्ञान और डॉ. अर्पित ने जो भी तकनीकी जानकारियां दी हैं, उसे आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदाय तक पहुंचाया जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त वीबीडी परामर्शदाता डॉ. एसके पांडये ने बताया कि कालाजार उन्मूलन में बीमारी की समय से पहचान और अतिशीघ्र इलाज का अहम योगदान होता है। अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय से बुखार आ रहा हो, पेट में सूजन हो, वजन कम हो रहा हो और भूख में कमी जैसे लक्षण हैं तो वह कालाजार का संभावित मरीज हो सकता है। एसीडी के दौरान ऐसे संभावित मरीजों को सीएचसी-पीएचसी और जिला अस्पताल भेज कर आरके-39 जांच करवानी है। जांच में कालाजार की पुष्टि पुष्टी होने पर 48 घंटे के भीतर इलाज शुरू कर देना है। चर्म रोग संबंधित कालाजार मरीजों में केस हिस्ट्री पर भी नजर रखनी है। इस कालाजार का प्रमुख लक्षण शरीर में सफेद दाग, चकत्ते और गांठें गाठें हैं। 


प्रशिक्षण में जिले से नोडल अधिकारी डॉ डीवी शाही, जिला मलेरिया अधिकारी एसपी तिवारी, सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि, सीपी मिश्रा, विचित्र मणि सहित सभी सीएचसी- पीएचसी के बीपीएम और बीसीपीएम भी शामिल हुए।


कालाजार के लक्षण


कालाजार सैंड (बालू) मक्खी से फैलने वाली बीमारी है । यह मक्खी नमी वाले स्थानों व अंधेरे में पायी जाती है। यह मक्खी तीन से छह फुट तक उड़ पाती है। इस मक्खी के काटने से व्यक्ति बीमार हो जाता है। उसे रूक-रूक कर बुखार चढ़ता उतरता है। इस बीमारी से मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर काला पड़ जाता है। लक्षण दिखने पर मरीज को तत्काल चिकित्सक को से दिखाना चाहिए।


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