आशा करती हैं स्क्रीनिंग, नसबंदी के पहले बरती जाती है पूरी सतर्कता


  • शहरी क्षेत्र में पीएसआई की मदद से हौसला साझेदारी के तहत हो रही है नसबंदी

  • ग्रामीण क्षेत्रों की आशा भी शहर में ला रही हैं परिवार नियोजन के स्थाई साधन चुनने वालों को

  • निजी अस्पताल जननी सूर्या क्लीनिक पर निःशुल्क नसबंदी का बिना डरे लाभ ले सकते हैं

  • सरकार द्वारा मिलने वाली प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है



गोरखपुर, 31 जुलाई 2020। सरकार द्वारा मिलने वाली प्रोत्साहन राशि समेत सभी सुविधाओं के साथ निजी अस्पताल जननी सूर्या क्लीनिक पर भी निःशुल्क नसबंदी सेवा का लाभ दिया जा रहा है। यह सुविधा हौसला साझेदारी के तहत मुहैय्या करायी जा रही है। स्वयंसेवी संगठन पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल (पीएसआई) की मदद से शहरी क्षेत्र के लाभार्थियों को कोरोना काल में भी यह सुविधा सुरक्षित तरीके से दी जा रही है। लाभार्थियों की प्राथमिक कोरोना स्क्रीनिंग के बाद ही आशा कार्यकर्ता उन्हें नसबंदी के लिए यहां ले आती हैं। नसबंदी से पहले लाभार्थी की अस्पताल पर भी थर्मल स्क्रीनिंग करके उसका पूरा विवरण लिया जाता है। यह भी देखा जा रहा है कि मरीज की कोरोना उपचाराधीन से कोई कांटैक्ट हिस्ट्री तो नहीं है या फिर वह कंटेनमेंट जोन से तो नहीं है। पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही सर्जन पीपीई किट पहन कर नसबंदी सेवा दे रहे हैं। बेहतर सेवा का असर यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ता भी शहर स्थित जननी सूर्या क्लीनिक तक लाभार्थी ला रही हैं।


सूर्या क्लीनिक की सर्जन डॉ. बुशरा ने बताया, ‘‘नसबंदी में इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लाभार्थी कोरोना संक्रमण के लक्षणों से मुक्त हो। आशा कार्यकर्ता लाभार्थी को लाते समय कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करती हैं। लाभार्थी मॉस्क लगा कर आते हैं। हाथ धुलवाया जाता है। सर्जरी करते समय हम पीपीई किट पहनते हैं। परिसर में शारीरिक दूरी का पालन हो रहा है। लोगों को बिना डरे इस सेवा का लाभ लेने के लिए आगे आना चाहिए।’’ डॉ. बुशरा ने जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान कई दर्जन लाभार्थियों को नसबंदी सेवा दी है। वह कहती हैं, ‘‘मेरी एक छोटी बच्ची है, इसलिये पहले थोड़ा सा डर लगता था लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है। हम जानते हैं कि सतर्कता रखेंगे तो कोई दिक्कत नहीं होगी।’’


पुर्दिलपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी आशा कार्यकर्ता शांति ने बताया कि उन्होंने जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान एक लाभार्थी को प्रेरित कर दो बच्चों के बाद ही परिवार नियोजन का यह स्थायी साधन अपनाने को कहा। 36 वर्षीय लाभार्थी एक साल से त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन की सेवा ले रही थीं। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लाभार्थी को जननी सूर्या क्लीनिक ले गयीं जहां नसबंदी की सेवा मिली। महुई सुघरपुर की आशा कार्यकर्ता मांडवी श्रीवास्तव ने चार बच्चों वाले लाभार्थी को परिवार नियोजन की महत्ता समझाया। इसके बाद पखवाड़े के दौरान ही उनकी नसबंदी हुई। मांडवी ने बताया, ‘‘कोरोना काल में भी अगर लाभार्थी से अच्छे से बात की जाए। उन्हें परिवार नियोजन की महत्ता समझायी जाए तो सकारात्मक असर पड़ता है। लोग तैयार हो जाते हैं। प्रेरित करने का असर रहा कि चार बच्चों के बाद लाभार्थी नसबंदी के लिए तैयार हो गया, हांलाकि यह साधन उसे दो बच्चों के बाद ही अपनाना चाहिए था। यह मामला कठिन था, लेकिन ठीक से समझाने पर राजी हो गया।’’


खोखर टोला की आशा कार्यकर्ता ममता मौर्या ने बताया कि पीएसआई संस्था द्वारा निरंतर मिलने वाले मार्गदर्शन का असर है कि नसबंदी के लिए कोरोना काल में भी लोगों को बेहतर तरीके से प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया, ‘‘मैं अपने क्षेत्र के लाभार्थी को पहले से नसबंदी के लिए प्रेरित कर रही थी। अचानक वह परिवार प्रसव के लिए निजी अस्पताल चला गया। मैंने फोन से उन्हें प्रेरित किया कि वह उसी अस्पताल में नसबंदी करवा लें। लाभार्थी ने नसबंदी करवा लिया।’’


 


कोरोना काल में 210 नसबंदी


कोरोना काल में 01 मार्च से 28 जुलाई तक जननी सूर्या क्लीनिक ने 210 नसबंदी की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नंद कुमार के दिशानिर्देशन में हौसला साझेदारी के तहत यहां भी पुरुष नसबंदी के लाभार्थियों को 2000 रुपये, जबकि महिला नसबंदी के लाभार्थियों को 1400 रुपये उनके खाते में भेजे जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी को 300 रुपये जबकि महिला नसबंदी के लिए 200 रुपये दिये जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले गैर सरकारी व्यक्ति को भी 300 रुपये देने का प्रावधान है।


 


पुरुष निभाएं भागीदारी


नसबंदी सेवा अपनाने में महिलाओं की ही भूमिका ज्यादा दिख रही है। पुरुषों को भी इस सेवा को अपनाने के लिए आगे आना होगा। पुरुष नसबंदी सरल है। जनपद के योग्यद दम्पत्तियों को इस सेवा को अपनाना चाहिए।


डॉ. श्रीकांत तिवारी, मुख्य चिकित्साधिकारी


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