बाबा वैद्यनाथ को जलाभिषेक करने से पुत्र की प्राप्ति, कावड़ चड़ाने से पुत्री की शादी?

वैद्यनाथ धाम भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक है। श्रद्धा पूर्वक जो भी इनके द्वार पहुंचता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कुछ लोग यहां अपनी मनोकामना मांगने आते हैं तो कुछ अपनी मनोकामनापूर्ण होने पर शिव का आभार प्रकट करने यहां आते हैं। बाबा वैद्यनाथ की कृपा से पुत्र की प्राप्ति होती है। जिन कन्याओं की शादी में बाधा आ रही होती है। शिव के इस द्वार पर कांवड़ चढ़ाने से उनकी शादी में आने वाली बाधा टल जाती है और जल्दी उनकी शादी हो जाती है। बाबा गरीबों की झोली भरते हैं। रोगी को रोग से मुक्ति देते हैं।



106 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं कई श्रद्धालु 


देवघर। कहा जाता है कि वैजनाथ नामक एक व्यक्ति को पशु चराते हुए इस शिवलिंग के दर्शन इसी के नाम से यह ज्योर्तिलिंग वैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मान्यता है कि वैद्यनाथ धाम के मंदिरों का निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा ने किया है। मंदिर निर्माण के विषय में कथन है कि मंदिर बनाते समय जब देवी पार्वती के मंदिर का निर्माण विश्वकर्मा कर रहे थे उस समय अचानक दिन निकल आने के कारण विश्वकर्मा को निर्माण कार्य बंद कर देना पड़ा जिससे पार्वती का मंदिर विष्णु एवं शिव के मंदिर से छोटा रह गया। इस मंदिर के प्रांगण में गंगा मैया, भैरव नाथ सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं। मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन कुआं भी है। वैद्यनाथ धाम में यूं तो पुरे साल लोग शिव के नवम ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। किन्तु सावन एवं अश्विन मास में यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ पहुंचती है। यहां आने वाले श्रद्धालु भक्तों को बम के नाम से पुकारा जाता है। देवघर में कांवड़ चढ़ाने का बड़ा ही महत्व है। श्रद्धालु भक्त सुल्तानगंज से गंगा का जल लेकर लगभग 106 किलोमीटर की दूरी पैदल यात्रा करते हुए देवघर बाबाधाम की यात्रा करते हैं। कांवड़ चढ़ाने वाले इन लोगों को सामान्य बम कहा जाता है। यह रास्ते भर बोल बम-बोल बम का नारा लगाते हैं।


बासुकी नाथ को जलाभिषेक है जरूरी


झारखंड के देवघर जिला में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम में जो कांवड़िये जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, वे बासुकीनाथ मंदिर में जलाभिषेक करना नहीं भूलते। लोगों की ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ के दरबार में यदि दीवानी मुकदमों की सुनवाई होती है तो बासुकीनाथ में फौजदारी मुकदमे की सुनवाई होती है। जब तक बासुकीनाथ मंदिर में जलाभिषेक नहीं किया जाता तब तक बाबा बैद्यानाथ धाम की पूजा अधूरी मानी जाती है। बासुकीनाथ मंदिर, बाबा बैद्यनाथ धाम से करीब 42 किलोमीटर दूर झारखंड के दुमका जिले में है। बाबा बैद्यनाथ मंदिर स्थित कामना लिंग पर जलाभिषेक करने जाने वाले कांवड़िये अपनी पूजा पूरा करने के लिए नागेश ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात बासुकीनाथ मंदिर में जलाभिषेक करना नहीं भूलते। कांवड़िये अपने कांवड़ में सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा नदी से जिन दो पात्रों में जल लाते हैं, उनमें से एक का जल बाबा बैद्यनाथ में चढ़ाया जाता है, जबकि दूसरे का बाबा बासुकीनाथ में।


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