भ्रामरी प्राणयाम करने से अनिद्रा और चिंता होती है दूर

कोरोना महामारी के दौर में ऐसा लगता है, मानो तनाव हमारी जिंदगी का एक हिस्सा ही बन चूका है। जिसे देखो वो तनाव से पीड़ित है। किसी को अपने परिवार के सही पालन पोषण करने की चिंता सता रही है, तो कोई अपने सपनों को पूरा ना कर पाने की वजह से तनाव में है। यहाँ तक की स्कुल बंद होने से आजकल बच्चे भी तनाव में जी रहे है। पढाई का बोझ, क्लास में टॉप करने की चिंता रहना भी तनाव को न्योता दे रहा है। वैसे आम तौर पर तनाव में रहना कोई बढ़ी बात नहीं है, लेकिन यदि यह ज्यादा देर तक बना रहे, तो परेशानी का कारण बन सकता है। डिप्रेशन और तनाव से मुक्त होने का सबसे प्रभावी तरीका है योग। वैसे तो हर योग की अधिकतर क्रियाओ को करने से तनाव से मुक्ति मिलती है, लेकिन सबसे ज्यादा जल्दी भ्रामरी प्राणयाम को करने से फायदा मिलता है। इसे करने से तनाव कम होता है। जिन लोगो को तनाव के चलते रात को नींद नहीं आती, घर में खाली रहने से भी थकान महसूस होती है, उन लोगो को नियमित भ्रामरी प्राणयाम करने से लाभ मिलता है। यहाँ की यह स्कूल के बच्चो के लिए भी फायदेमंद है, दरहसल इसे करने से बुद्धि भी बढ़ती है। यदि हमें किसी चीज से मिलने वाले लाभो के बारे में पता हो तो वो चीज़ हम पुरे मन से करते है। इसलिए भ्रामरी प्राणयाम को करने की क्रिया को जानने से पहले क्यों ना इसके लाभो के बारे में जान लिया जाये।



भ्रामरी प्राणयाम करने का आसान तरीका


इसके अभ्यास को 5 से 10 बार तक करें।



  • इस आसान को सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों वक्त किया जा सकता है।

  • सबसे पहले स्वच्छ और समतल जगह चुने और दरी बिछाये।

  • अब ध्यान लगाने वाले आसन जैसे की पद्मासन या सुखासन में बैठ जाए।

  • अपनी दोनों आंखों को बंद रखें तथा मन और चित्त को शांत रखें, दफ्तर के काम या तनाव देने वाले अन्य किसी विचारो को मन में आने ना दे।

  • अपने मेरुदंड को बिलकुल सीधा और दोनों हाथो को बगल में अपने कंधो के समांतर फैलाए।

  • अब अपने हाथो को कुहनियों से मोड़ते हुए हाथ को कानों के समीप ले जाए।

  • दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों कानों को बंद कर लें।

  • इस प्राणायाम में नाक से श्वांस भर कर धीरे-धीरे गले से भ्रमर की गुंजन के साथ श्वांस छोड़ना होता है, इसलिए पहले नाक से श्वास अंदर लें और फिर बाहर छोड़े।

  • इस बात का ध्यान रहे की श्वास बाहर छोड़ते समय कंठ से भवरे के समान आवाज करना हैं। यह आवाज पूर्ण श्वास छोड़ने तक निरंतर निकालना है। और आवाज आखिर तक एक समान होना चाहिए।

  • ध्वनि तरंग को अपने मस्तिष्क में अनुभव करें व गुंजन करते वक्त जीभ को तालु से लगायें। दांतों को खुला रखें किन्तु होठ बंद रहना चाहिए।


प्राणयाम से लाभ



  • भ्रामरी प्राणयाम करने से अनिद्रा, चिंता दूर होती है।

  • इससे सिर दर्द दूर होता है, और अच्छी नींद आती है।

  • इसे करने से बुद्धि तेज होती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है।

  • माइग्रेन से पीड़ितों के लिए यह बहुत फायदेमंद है।

  • भ्रामरी प्राणयाम का अभ्यास रोज करने से आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ती है।

  • यह मानसिक अशांति के कारण उत्पन्न हुए उक्त रक्त चाप को घटाने में मदद करता है।

  • इसके नियमित अभ्यास से मस्तिष्क में रक्त जमाव की स्थिति में राहत मिलती है।

  • इस करते वक्त विचार करने की गति कम हो जाती है नतीजन चिन्ता व तनाव मिट जाते हैं।

  • इसे करते समय ठुड्डी को गले से लगाकर करने से थाइरोइड रोग में फायदा मिलता है।

  • जो लोग बहुत नकारात्मक सोचते है, इसे करने से धीरे धीरे वो लोग सकारात्मक होते जाते है।


                                                                                         -योगाचार्य उमेश पाठक, हरिद्वार


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