मुरव्य द्वार पर कोई मांगलिक या शुभ चिन्ह बनवाया जा सकता है। घर के कुल दरवाजों की संख्या यदि सम संख्या में हो तो शुभ माना जाता है। दो- भवनों के मुख्य द्वार एक-दूसरे के ठीक सामने न हों दरवाजे। उत्तर व पूर्व दिशा में अधिक रखने चाहिए ताकि हवा प्रकाश व ऊर्जा का संचार पर्याप्त हो सके।
बास्तुविर्द ऋतू मांझनी के अनुसार प्रवेश द्वार हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए। पूर्व अथवा उत्तरमुखी भवनों में चारदीवारी की ऊंचाई पूर्व या उत्तर में मुख्य द्वार से कम होनी चाहिए। साथ ही हल्की भी होना चाहिए तथा पश्चिम या दक्षिणमुखी भवनों की चारदीवारी भवन के मुख्य द्वार से ऊंची, बराबर अथवा नीची रखी जा सकती है, साथ में वजनी होना चाहिए।
दरवाजे की आवाज अशुभ क्यों?
दरवाजे घर का मुख्य भाग होते हैं क्योंकि नकारात्मक व सकारात्मक ऊर्जा यहीं से घर में प्रवेश करती व बाहर निकलती है। वास्तु शास्त्र में दरवाजों पर विशेष ध्यान दिया गया है। दरवाजे खोलते व बंद करते समय आवाज नहीं होनी चाहिए। इससे एकाग्रता भंग होती है। दरवाजा स्वतः खुलने व बंद होने वाला नहीं होना चाहिए।
फेंगशुई टिप्स
खिड़कियों के दरवाजे बाहर की ओर खुलने चाहिए, इससे ची (ऊर्जा) का प्रवाह अधिक होता है और उस भवन में निवास करने वाले व्यक्तियों को धन के सम्बन्ध में कभी कठिनाई नहीं होती है। अपने बच्चों का पढ़ाई की तरफ रुझान चाहते हैं तो बच्चों के स्टडी टेबल के उत्तर-पूर्व में क्रिस्टल बॉल अथवा ग्लोब रखें। बच्चों का पढ़ाई में ध्यान ज्यादा लगेगा। आपके घर का अगला व पिछला द्वार एक सीध में नहीं होना चाहिए क्योंकि सारी ची (ऊर्जा) प्रवेश के साथ ही बाहर निकल जाएगी। अपने फर्नीचर की सेटिंग घुमावदार करें जिससे ची सारे घर में प्रवाहित हो जाए। दर्पण या क्रिस्टल बॉल द्वारों के बीच में लटकाकर भी आप ची को ठहरने के लिए बढ़ावा दे सकते हैं।
दीवार के इस भाग में मुख्य द्वार
वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस दीवार के साथ मुख्यद्वार बनवानी हो उस दीवार को नौ भागें में बांटें। इसके बाद भवन में प्रवेश की दिशा से बायीं ओर पांच भाग और दायीं ओर से तीन भाग छोड़कर प्रवेशद्वार बनवाएं। इससे प्रवेश बड़ा होगा और निकास छोटा। माना जाता है कि ऐसा होने से आय अधिक होता है और व्यय कम।
मुख्य द्वार के सामने नहीं
मुख्यद्वार के सामने मंदिर, वृक्ष, कुआं अथवा स्तंभ नहीं होना चाहिए। इसे वास्तु वेध कहा जाता है यानी लक्ष्मी का प्रवेश बाधित होता है। इससे बचने का उपाय ज्यादा कठिन नहीं है। वास्तु विज्ञान के अनुसार बस आपको इस बात का ख्याल रखना है कि भवन की ऊंचाई से दोगुनी दूरी पर उपरोक्त चीजें न हों। उसके आगे होने पर भी वास्तु-वेध नहीं लगता है।
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