कोरोना वैक्सीन का ट्रायल, गोरखपुर के अस्पताल को मिली है जिम्मेदारी

गोरखपुर। आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित कोरोना वैक्सीन का ट्रायल उन्हीं लोगों पर किया जाएगा, जो बेहद स्वस्थ्य होंगे। स्वस्थ्य होने वाले लोगों की एलाइजा और आरटीपीसीआर से जांच होगी। जांच में जिनके अंदर एंटी बॉडी नहीं होगी, उन पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। राणा हॉस्पिटल को एक सप्ताह के अंदर कोरोना के कोवॉक्सिन मिल भी जाएंगे।



राणा हॉस्पिटल की रिसर्च टीम की हेड डॉ निधी के मुताबिक गोरखपुर में केवल इसी हॉस्टिपटल को आईसीएमआर ने वैक्सीन ट्रायल की अनुमति दी है। बताया कि ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की गई है, जिनकी एलाइजा जांच के लिए ब्लड सैंपल और आरटीपीसीआर जांच के लिए स्वैब (लार का नमूना) लिया जाएगा। इसे दिल्ली के डॉ डैग्स लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा।


जांच रिपोर्ट में अगर एंटी बॉडी मिलती है, तो ऐसे लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल नहीं किया जाएगा। जिनके अंदर एंटी बॉडी नहीं होगी उन पर वैक्सीन का ट्रायल होगा। बता दें कि आईसीएमआर और भारत बायोटेक के सहयोग से कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन विकसित की गई है। इसे देश भर के 12 चिकित्सा संस्थानों में ट्रायल किया जाना है। इसमें गोरखपुर के राणा हॉस्पिटल का नाम शामिल किया गया है।


100 से 150 लोगों को लगाए जाने हैं वैक्सीन
पहले चरण में 100 से 150 लोगों को वैक्सीन लगाए जाने हैं। इसके बाद अगर आईसीएमआर और अनुमति देता है, तो लोगों को तैयार करके वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। डॉ निधि ने बताया कि जो लोग बेहद स्वास्थ्य होंगे, उनके अंदर कोई बीमारी नहीं होगी, वैसे लोगों पर ही वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। यही वजह है कि ऐसे लोगों की एलाइजा और आरटीपीसीआर से जांच दिल्ली डॉ डैग्स लैब में कराई जाएगी।


जेई वैक्सीन के कारण मिली सफलता
राणा हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड भारत बायोटेक के साथ जेई वैक्सीन पर काम कर चुकी है। यही वजह है कि भारत बायोटेक ने इस हॉस्पिटल को कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए शामिल किया है। इस काम में हॉस्पिटल की निदेशिका डॉ सोना घोष, रिसर्च टीम की एचओडी डॉ निधि और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉ अजीत प्रताप सिंह को शामिल किया गया है।


डॉ सीमा घोष


 


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