शिवलिंग पर समर्पित करें इन द्रव्यों की धाराएं, मिटेंगे सभी कष्ट, मिलेगी सुख-समृद्धि

 


महादेव को विभिन्न द्रव्यों को समर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।



सावन मास शिव को समर्पित मासए धरती को हरियाली की चादर ओढ़ाने वाला मास औऱ मेघों से बरसती जलवृष्टि से प्रकृति के सौंदर्य को निखारने वाला मास। सावन मास में कल्याण के देवता भूतभावन महादेव की आराधना की जाती है। भोलेनाथ को विभिन्न वस्तुओं को समर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं।


शिवपुराण में महादेव आराधना का महत्व


शिवपुराण में महादेव को प्रसन्न करने के अनेक उपायों को वर्णन किया गया है। कैलाशपति को फूलए द्रव्य और अन्न समर्पित कर उनकी आराधना की जाती है। विभिन्न द्रव्यों की धारा को शिवलिंग पर समर्पित करने से अलग.अलग प्रकार के कष्टों का नाश होता है। अब बात करते हैं शिवलिंग पर कौनसी धारा को समर्पित करने से क्या फल मिलता है।


जल की धारा से होता है ज्वर का नाश


शिवलिंग पर ज्वर यानी बुखार में तप रहे मरीज की शांति के लिए शिवलिंग पर जल की धारा समर्पित करना चाहिए। इसके साथ शतरुद्रीय मंत्र सेए रुद्री के 11 पाठों सेए रुद्रमंत्रों के जप सेए पुरूषसूक्त सेए छह ऋचा वाले रुद्रसूक्त सेए महामृत्युंजय मंत्र सेए गायत्री मंत्र से अथवा शिव के शास्त्रोक्त मंत्रों से आदि में प्रणय और अंत में नमरू जोड़कर जलधारा समर्पित करना चाहिए।


वंशवृद्धि के लिए घी की धारा


सुख और संतान की वृद्धि के लिए भी शिवलिंग पर जलधारा को उत्तम बतलाया गया है। शिवलिंग पर सहस्त्रनाम मंत्रों से घी की धारा समर्पित करने से वंश का विस्तार होता है। घी से शिवलिंग पूजा कर ब्राह्मण भोज करवाने से नपुसंकता का रोग दूर होता है। उत्तम बुद्धि की प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर शर्करा मिश्रित जल के समर्पित करना चाहिए। इससे देवगुरु बृहस्पति के समान बुद्धि की प्राप्ति होती है।


भोग औऱ मोक्ष के लिए गंगाजल की धारा


मन ने उच्चाटन की स्थिति हो या अवसाद आ जाए। कहीं पर मन न लगे तो ऐसी स्थिति में शिवलिंग पर दूध की धारा समर्पित करना चाहिए इससे समस्त कष्टों का नाश होता है और जीवन में खुशियां आ जाती है। शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से भोग में वृद्धि होती है और सुख की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से टीबी के रोग में फायदा होता है। शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से आनन्द की प्राप्ति होती है। गंगाजल की धारा समर्पित करने से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।


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