शुक्रवार और चतुर्थी का योग आज, गणेशजी के साथ ही विष्णुजी और लक्ष्मी की भी करें पूजा

गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं और दक्षिणावर्ती शंख से करें महालक्ष्मी का अभिषेक


शुक्रवार, 24 जुलाई को सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार शुक्रवार को चतुर्थी होने से गणेशजी के साथ ही विष्णुजी और देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा जरूर करें। चतुर्थी गणेशजी की तिथि है। इस दिन गणेशजी के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए विनायकी चतुर्थी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...


गणेशजी के सामने दीपक जलाएं और बोलें 12 नाम वाले मंत्र


चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद किसी गणेश मंदिर जाएं। भगवान को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।


गणेशजी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है। पूजा में भगवान को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं। फलों का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को भी वितरीत करें। स्वयं भी ग्रहण करें। इसके बाद उनके 12 नाम वाले मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें।


गणेशजी के नाम वाले मंत्र 


ऊँ सुमुखाय नम:


ऊँ एकदंताय नम:


ऊँ कपिलाय नम:


ऊँ गजकर्णाय नम:


ऊँ लंबोदराय नम:


ऊँ विकटाय नम:


ऊँ विघ्ननाशाय नम:


ऊँ विनायकाय नम:


ऊँ धूम्रकेतवे नम:


ऊँ गणाध्यक्षाय नम:


ऊँ भालचंद्राय नम:


ऊँ गजाननाय नम:


विष्णुजी और लक्ष्मीजी का अभिषेक करें


शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा खासतौर पर की जाती है। लक्ष्मीजी के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए। इन दोनों देवताओं की प्रतिमा का अभिषेक करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और अभिषेक करें। इसके बाद जल से अभिषेक करें। वस्त्र, हार-फूल, भोग आदि अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।


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