वार्ड फुल, एक कमरे वाले कैसे होंगे होम आइसोलेट?

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने होम आइसोलेशन का निर्देश दिया है, जिसके कुछ मानक भी तय किये गए हैं। ऐसे में एक कमरे में रहने वाले अपने को होम आइसोलेट कैसे करेंगे। इसके लिए कोई आवश्यक दिशा निर्देश नहीं तैयार किए गए हैं। जिले में ऐसी कई मलिन बस्तियां है जहां एक कमरे में रहने के लिए लोग मजबूर है।


कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य सरकार ने होंम आइसोलेशन का का निर्देश दिया है। लेकिन कम कमरे वाले या खपरैल में रहने वाले लोग कहां करेंगे अपने को होंम आइसोलेट इसको लेकर कोई निर्देश नही दिया गया है। हालांकि जिला प्रशासन इनके लिए अलग से व्यवस्था की है। बता दे कि गोरखपुर में ही ऐसे ही कई मलिन बस्तियां है जहां गन्दगी का अंबार होने के साथ-साथ कोरोना के केस भी सामने आए हैं।
गोरखपुर में कोविड-19 के लिए दो अस्पताल बनाए गए थे , पहला रेलवे होंस्पिटल और दूसरा बीआरडी मेडिकल कॉलेज। दोनों अस्पतालों में कोरोना वार्ड फूल हो जाने से शहर के टीबी अस्पताल में भी 90 बेड कोरोना संक्रमितों के लिए बनाया गया है। लेकिन ये सुविधा उन्ही लोगों के लिए होगी जिनकी हालत गम्भीर होगी। ऐसे में प्रदेश सरकार ने बिन लक्षण वाले संक्रमितो के लिए होंम आइसोलेशन का निर्देश दिया है। जिसके कुछ नियम है।
गोरखपुर के इन क्षेत्रों में एक कमरे में रहते हैं कई लोग
गोरखपुर में घंटाघर से आगे बढ़ने पर बसन्तपुर पड़ता है। जो किसी जमाने में बसन्त सराय के नाम से भी जाना जाता था। इस सराय में 68 कमरे बने हुए हैं और प्रत्येक कमरे में एक परिवार रहता है और करीब हर परिवार में 10 सदस्य है। ये लोग हैण्ड टू माउथ का काम करते है। ऐसे में अगर इनको कोरोना होगा तो ये होंम आइसोलेट कैसे होंगे। यह जानने के लिए बसंतपुर के लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि यहां महिला-पुरुष को मिलाकर एक शौचालय है। जिसमें 68 परिवार के लोग जाते है सुबह से लाइन लगाना पड़ता है। वहीं महिलाओं की स्थिति और भी दयनीय है।


'नहीं जानते क्या होता है आइसोलोशन'
1970 से रह रहे मसुफ अली का कहना की लॉकडाउन के दौरान यहाँ एक से दो बार सेनेटाइजेशन का काम किया गया है। यह हालत सीएम सिटी के सिर्फ एक मोहल्ले की नही है यह हालत गोरखनाथ थाने के पीछे दिग्विजयंगर की भी है जहां तमाम परिवार एक कमरे में रहने को मजबूर है। यहां लोगों के घरों में काम करने वाली सुषमा बताती हैं कि होंम आइसोलेशन क्या होता है उन्हें यह भी नही पता। ऐसे में मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग जो कोरोना संक्रमित है और लक्षण नहीं दिख रहे हैं वो अपने को होम आइसोलेट कैसे करेंगे।



जिला प्रशासन ने की है यह व्यवस्था
वहीं जिलाधिकारी के. विजेंद्र पंडियन ने बताया कि जो मलिन बस्तियों में लोग रह रहे हैं जिनके पास होंम आइसोलेशन की समुचित व्यवस्था नही है उनके लिए स्पोर्ट्स कॉलेज में 500 बेड तैयार किया गया है ताकि ऐसे लोगों को वहाँ रखा जा सके।


होम आइसोलेशन के लिए सरकार के गाइडलाइन
होम आइसोलेशन के गाइडलाइन में तय किया गया है कि बिन लक्षण वाले मरीज जिनके घर में अपेक्षित सुविधाएं होंगी उन्ही मरीजों को होंम आइसोलेशन की अनुमति मिलेगी।


-घर में जिनके दो शौचालय की सुविधा होगी।
-जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी ( एचआईवी, अंग प्रत्यारोपण,कैंसर) जैसे मरीजों को होंम आइसोलेशन की इजाज़त नहीं होगी।
-संक्रमित मरीज की देखभाल करने के लिए 24 घण्टे एक शख्स का होना जरूरी है जो होंम आइसोलेशन की अवधि में सम्बंधित व्यक्ति अस्पताल को अपडेट देता रहे।
-मरीज को आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड कर सूचना अपडेट करते रहना है। अगर स्मार्ट फोन नंही है तो कंट्रोल रूम को अपने स्वास्थ्य से जुड़ी सूचना प्रेषित करनी होगी।
-होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्ति को पॉज़िटिव होने के 10 दिन बाद और पिछले 3 दिन से बुखार न आने पर होंम आइसोलेशन समाप्त माना जाएगा। इसके बाद मरीज को 7 दिनों तक घर पर ही रहना होगा। आइसोलेशन समाप्त होने के बाद टेस्टिंग की जरूरत नही होगी।


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