गोरखपुर। अखिल भारतीय विद्वत महासभा द्वारा श्रावणी उपाकर्म और संस्कृत दिवस को पूरे विधि विधान से मनाया गया। मानसरोवर मन्दिर पर आयोजित होने वाली पूजन को कोरोना महामारी में लाकडाउन का पालन करते हुए विद्वानो ने श्रावणी उपाकर्म अपने अपने आवास पर करने का फैसला किया। इस दौरान सभी पूरे विधि विधान से विद्वानों ने श्रावणी उपाकर्म और संस्कृति दिवस मनाई गई।
आचार्य पंडित शरद चन्द्र मिश्र।
अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल ने उपाकर्म के संबंध में बताया कि सर्वप्रथम शारीरिक नाना विधि से गोमय, गोमूत्र, भस्म मृतिका और कुशोदकादि से स्नान करके सूर्य को अर्घ्य अर्पण करना चाहिए।
आर्याब्रत अंक ज्योतिष विज्ञान के संस्थापक आचार्य लोकनाथ तिवारी ने बताया कि श्रावणी पर्व पर द्विजत्व के संकल्प का नवीनीकरण किया जाता है। उसके लिए परंपरागत ढंग से तीर्थ अवगाहन, दशस्नान, हेमाद्रि संकल्प एवं तर्पण आदि कर्म किए जाते हैं। श्रावणी के कर्मकाण्ड में पाप-निवारण के लिए हेमाद्रि संकल्प कराया जाता है, जिसमें भविष्य में पातकों, उपपातकों और महापातकों से बचने, परद्रव्य अपहरण न करने, परनिंदा न करने, आहार-विहार का ध्यान रखने, हिंसा न करने, इंद्रियों का संयम करने एवं सदाचरण करने की प्रतिज्ञा ली जाती है। यह सृष्टि नियंता के संकल्प से उपजी है। हर व्यक्ति अपने लिए एक नई सृष्टि करता है। यह सृष्टि यदि ईश्वरीय योजना के अनुकूल हुई, तब तो कल्याणकारी परिणाम उपजते हैं, अन्यथा अनर्थ का सामना करना पड़ता है। अपनी सृष्टि में चाहने, सोचने तथा करने में कहीं भी विकार आया हो, तो उसे हटाने तथा नई शुरूआत करने के लिए हेमाद्रि संकल्प करते हैं। ऐसी क्रिया और भावना ही कर्मकाण्ड का प्राण है। जाने-अनजाने हुये पापकर्म के लिये प्रभु से क्षमा माँगे। आगे कोई पापकर्म नहीं करेंगे ऐसा संकल्प करें संकल्प पूरा हो इसके लिये प्रभु से प्रार्थना करें। ॠषियों से जीवन-सफल करने का मार्ग जो मिला है।
इसके लिये उनका पूजन करें। सभी लोग स्वस्थ प्रसन्न व सम्पन्न हो ऐसी प्रार्थना करें।
श्रावणी उपा कर्म और रक्षाबंधन दोनों का शास्त्र में सनातन धर्म में चले आ रहे पुराने संस्कारों का ही एक अंग है इसके द्वारा पूरे साल में किए हुए पूजा पाठ में छोटे-मोटे त्रुटियां हर इंसान से होती रहती हैं उन पापों को छह करने के लिए ब्राम्हण को उपा श्रावणी कर्म करना चाहिए और रक्षाबंधन यज्ञोपवीत पूजन सप्त ऋषि पूजन यह ब्राह्मण का मुख्य त्यौहार एवं कर्म है इसे हर ब्राह्मण को करना चाहिए।
इसमें अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, उपाध्यक्ष आचार्य अरविंद मिश्र, उपाध्यक्ष आचार्य कृष्ण कुमार मिश्र, उपाध्यक्ष आचार्य लोकनाथ तिवारी, महामंत्री पं तारकेश्वर मिश्र, कोषाध्यक्ष पं देवेन्द्र प्रताप मिश्र सहित संस्था के ज्योतिष यज्ञ संस्कार समिति के अध्यक्ष डॉ दिग्विजय शुक्ल, संस्था के मुख्य प्रवक्ता पं शरदचंद्र मिश्र, आचार्य धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी, आचार्य राजीव मिश्र, पं दिनेश त्रिपाठी, आचार्य कमलेश त्रिपाठी, आचार्य कपिल देव त्रिपाठी, पं हरिशंकर तिवारी, पं नवनीत चतुर्वेदी, पं सतेन्द्र कुमार पाण्डेय, पं प्रदीप शुक्ल, पं प्रमोद द्विवेदी, आचार्य नितिश कुमार पाण्डेय, पं तेजनारायण चौबे उर्फ शक्ति नाथ बाबा, आचार्य सूरज मिश्र, पं ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, आचार्य दिनेश, आचार्य सतीष, आचार्य विवेक आदि मौजूद रहे।
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