- सीएमओ डाक्टर श्रीकांत तिवारी की देखरेख में सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान के दौरान गोरखपुर जिले ने ढूंढे सर्वाधिक 277 क्षय रोगी
- 4.51 लाख लोगों की स्क्रीनिंग में 2606 लोगों की लक्षणों के कारण करायी गयी जांच
- सभी सरकारी अस्पतालों में क्षय रोग के निःशुल्क जांच व इलाज की सुविधा है
गोरखपुर, 23 नवम्बर-2020। क्षय रोग एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण तब सामने आते हैं जबकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है। इसका बैक्टेरिया तो शरीर में ही रहता है लेकिन लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए जिस परिवार में कोई भी क्षय रोगी सामने आए उसके सम्पर्क के सभी लोगों को क्षय रोग की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. रामेश्वर मिश्र का। उन्होंने जनपद के उन सभी परिवारों से क्षय रोग की जांच की अपील की है जिनके घरों से टीबी रोगी चिन्हित किये गये हैं या जिनके घरों में कभी कोई भी सदस्य क्षय रोगी रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस साल प्रदेश के 29 जिलों में दो नवम्बर से 11 नवम्बर तक चले सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ कैंपेन) में गोरखपुर जिले ने सर्वाधिक 277 क्षय रोगी खोजे हैं।
डीटीओ ने बताया कि जिले में 4.83 लाख लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य था जिसके सापेक्ष सीएमओ डाक्टर श्रीकांत तिवारी के दिशा-निर्देशन में 4.51 लाख लोगों के घर पहुंच कर एसीएफ टीम ने स्क्रीनिंग की। इस दौरान 2606 लोगों में क्षय रोग के लक्षण नजर आए। इन सभी लोगों की जांच करवाने के बाद 277 लोगों में बीमारी की पुष्टि हुई। जिन लोगों में बीमारी की पुष्टि हुई है उनका न केवल निःशुल्क इलाज होगा, बल्कि पोषक सामग्री के सेवन के लिए उनके खाते में पांच सौ रुपये प्रति माह भेजे भी जाएंगे। उन्होंने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में क्षय रोग के निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है। निजी अस्पतालों में भी इलाज करवाने वाले मरीजों का नोटिफिकेशन होता है तो उन्हें भी पांच सौ रुपये पोषण के दिये जाते हैं, साथ ही नोटिफाइड करने वाले चिकित्सक को भी पांच सौ रुपये दिये जाते हैं, बशर्ते कि क्षय रोगी नया होना चाहिए।
6378 रोगियों का पहले से चल रहा इलाज
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि 20 जनवरी 2020 से 20 अक्टूबर 2020 तक ओपीडी सेवाओं के दौरान जिले में कुल 6378 टीबी रोगियों को चिन्हित किया गया। इनमें से 3559 रोगी सरकारी अस्पतालों में चिन्हित किये गये जबकि 2819 टीबी रोगी निजी अस्पतालों से चिन्हित किये गये।
क्षय रोग को जानिए
- प्रत्येक 10 में से 07 व्यक्ति इसके बैक्टेरिया से प्रभावित है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर प्रभावित व्यक्ति टीबी की चपेट में आ जाता है।
- बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिये उनके पैदा होने के बाद अतिशीघ्र बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है।
- टीबी का एक मरीज 10-15 लोगों को इसका बैक्टेरिया बांट सकता है।
- मधुमेह रोगी और एचआईवी पीड़ित में टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
- ओवर डाइटिंग, ओवर एक्सरसाइज व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
- टीबी की दवा बीच में छोड़ देने से यह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी में बदल जाता है जिसका इलाज और कठिन हो जाता है। इसलिए इसका पूरा डोज लेना चाहिए।
- यह बीमारी टीबी मरीज के साथ बैठने से नहीं होती बल्कि उसके खांसी, छींक, खून व बलगम के संक्रमण से होती है।
- मुंह पर रूमाल रख कर, बलगम को राख या मिट्टी से डिस्पोज करके व सही समय पर टीबी की जांच व इलाज से हम इसे मात दे सकते हैं।
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