नहाय-खाय में चावल, दाल और लौकी का सेवन

लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत बुधवार को नहाय-खाय के साथ होगी। निर्जला अनुष्ठान के पहले दिन बुधवार 18 नवंबर को व्रती घर, नदी, तालाबों आदि में स्नान कर अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 19 नवंबर को खरना करेंगे। यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैे। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करने और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद शाम को दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद खाकर चांद को अर्घ्य देंगे और लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत उपवास शुरू करेंगे। 20 नवंबर को व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे और 21 नवंबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महाव्रत संपन्न करेंगे। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद वितरण करेंगे और अन्न-जल ग्रहण;पारणद्ध कर चार दिवसीय अनुष्ठान समाप्त करेंगे।



वृश्चिक राशि में हैं सूर्य: इस बार होना वाला छठ व्रतियों, श्रद्धालुओं और आम लोगों के लिए कल्याण कारक है।


पंडित योगेंद्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं कि 16 नवंबर को शाम 6:32 बजे से सूर्य का राशि परिवर्तन हुआ है। अब सूर्य वृश्चिक राशि में आ चुके हैं। सूर्य अपने मित्र के घर में होने से अच्छा संदेश दे रहे हैं। ज्योतिषाचार्य नित्यानंद जोशी कहते हैं कि यह व्रत आरोग्य, संतान, यश, कीर्ति के लिए कार्तिक शुक्ल षष्ठी व सप्तमी को किया जाता है। 20 नवंबर को सुबह सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ा होने एवं शुक्र, गुरु, शनि व स्वगृही होने से बहुत सुंदर संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य से बनने वाला वरिष्ठ योग का भी निर्माण हो रहा है।


20 नवंबर को सूर्य के तीसरे स्थान पर चन्द्रमा है। इस दिन आम लोगों को आदित्य हृदय स्रोत और गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। पूर्वाभिमुख उपासना से उन्नति व पश्चिमाभिमुख उपासना से दुर्भाग्य का अंत होता है।


व्रत तिथि 


18 नवंबर बुधवार नहाय-खाय 5:15 सुबह के बाद 19 नवंबर गुरुवार खरना 4:56 शाम के बाद, 20 नवंबर शुक्रवार डूबते सूर्य को अर्घ्य 5:26 शाम 21 नवंबर शनिवार उगते सूर्य को अर्घ्य 6:49 सुबह


18 नवंबर 2020, बुधवार. चतुर्थी (नहाय-खाय) इस दिन स्नान कर, चावल, दाल, कद्दू की सब्जी, सेंधा नमक खाया जाता है


19 नवंबर 2020, गुरुवार. पंचमी (खरना) इस दिन स्नान आदि से शुद्ध होकर चंद्रोदय पर शुद्ध घी लगी गेहूं की रोटी व खीर खाया व प्रसाद वितरण किया जाता है।


20 नवंबर 2020, शुक्रवार. षष्ठी (डूबते सूर्य को अर्घ्य) इस दिन ठेकुआ पकवान बनाया जाता है यह पकवान संपूर्ण पूजा का मुख्य प्रसाद होता है। नारियल, केला, निंबू, ईख और ऋतुफल का भी प्रसाद तैयार किया जात है। सायंकालीन अर्घ्य दिया जाता है।


21 नवंबर 2020, शनिवार. सप्तमी (उगते सूर्य को अर्घ्य) इस दिन सुबह को अर्घ्य दिया जाता है।



छठी मैया की उपासना का महापर्व छठ 18 नवंबर से शुरू हो रहा है। ये व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के के लिए रखा जाता है। छठ पूजा की तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू हो जाती हैं। छठ पूजा में पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता है और महिलाएं बहुत पहले से ही इन सामग्रियों की लिस्ट बना लेती हैं। व्रत से पहले ही इन सामग्रियों का प्रबंध करने से आपको पूजा करने में आसानी होगी।


पूजा सामग्री


छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी.बड़ी टोकरियां खरीद लें। बांस या फिर पीतल का सूप, दूध और जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली ले लें। इसके अलावा 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों, शकरकंदी और सुथनी, पान और सुपारी, हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल का आटा, ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप का प्रयोग छठ पूजा में किया जाता है। साथ ही व्रती को नए वस्त्र पहनने का विधान है। 


 


 


 


 


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