स्कंद पुराण: घर में है ''तुलसी'' तो करें इन 3 नियमों का पालन, रोगमुक्त रहेगा पूरा परिवार, होगी धन में वृद्धि
स्कंद पुराण में तुलसी की महिमा का बखान किया गया है। तुलसी से जुड़ी कई ऐसे नियम हैं जिसे सामान्य तौर पर लोग नहीं जानते।
तुलसी माता की पूजा से मनुष्य जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। साथ ही भगवान की दया दृष्टि सदैव बनी रहती है। संतोष मिलता है। धन में वृद्धि होती है। पुण्य की प्राप्ति होती है। संतान की प्राप्ति होती है।
यदि ''तुलसी'' के नीचे जलाते हैं ''दीपक'' तो आज ही जान लें ये खास बात, वरना घर में होगा दरिद्रता का वास
शास्त्रों के अनुसार रोज शाम को तुसली के नीचे दीपक जलाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी घर में निवास करती हैं।
तुलसी का पौधा ने केवल औषधि है बल्कि इसमें धन की देवी लक्ष्मी का वास माना जाता है। प्रायः हिन्दू घरों में लगे तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाया जाता है।
रोज शाम को तुसली के नीचे दीपक जलाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी घर में निवास करती हैं। शास्त्रों में तुलसी के नीचे दीपक जलाने के लिए कुछ विधियां बताई गई है।
तुलसी पौधे के नीचे दीपक जलाने के नियम
दरअसल माना जाता है कि यदि दीपक को आसन देकर तुलसी के नीचे नहीं रखा जाए तो माता लक्ष्मी आसन ग्रहण नहीं करती। साथ ही चावल को लक्ष्मीजी का प्रिय धान भी माना जाता है।
इसलिए कहा जाता है कि पूजन के समय दीपक को चावल का आसन देने से घर में स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख भी मिलता है तुलसी के पौधे के नीचे चावल का आसन बिछाकर उसपर घी अथवा तेल का दीपक जलाने से धन लाभ होता है।
ऐसे नहीं होता दरिद्रता का वास
साथ ही घर में दरिद्रता का कभी वास नहीं होता है। तुसली माता की पूजा में दीपक के नीचे चावल रखने चाहिए। शास्त्रों में चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है और दीपक को पूर्णता का।
हिन्दू धर्म में दीपक को देवरूप माना जाता है। इसीलिए तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाने के लिए पहले चावलनुमा आसन का प्प्रयोग करना चाहिए। दीपक के नीचे चावल ना रखें जाने पर इसे अपशकुन माना जाता है। यदि दीपक के नीचे चावल नहीं हो तो दीपक अपूर्ण होता है।
Comments