आरती- पुजन के साथ मनाया राधा बाबा का 109वाँ जन्मोत्सव, मोरारी बापू भी हुए शामिल

 



गोरखपुर। सार्वभौम गृहस्थ संत नित्यलीलालीन भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार के नित्यसहचर महाभावनिमग्न श्रीराधा बाबा का 109वाँ जन्मोत्सव पौष शुक्ल नवमी 22 जनवरी, शुक्रवार को संतद्वय की तपोभूमि गीता वाटिका में धूमधाम से मनाया गया।

 इस अवसर पर प्रख्यात श्रीरामकथाकार पूज्य मोरारी बापू भी गीता वाटिका पधारे। उन्होंने कहा कि मैं क्षमा प्रार्थना करता हूँ। यहां आने में देर हुई है। आपको बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ी। बाबा के प्राकट्य दिवस पर आया हूँ यह मेरा सौभाग्य है। उन्होंने एक मार्मिक बात की चर्चा करते हुए कहा कि एक महापुरुष ने राधा तत्व की विवेचना करते हुए कहा था कि ऊपर से जो नीचे की ओर आए उसको धारा कहते हैं और जो नीचे से ऊपर की ओर जाए उसे राधा कहते हैं। अभी तो कलियुग चल रहा है, यह कलीयुग है। अभी मुखरित होने को है। जब कली खिलेगी तब सतयुग ही सतयुग हो जाएगा।

जो रोज कहता है कि हम मजे में हैं। या तो वह फकीर है, या नशे में है। साधु के पास फकीरी भी होती है और राधा नाम का नशा भी होता है....

श्री राधा बाबा के जन्म महोत्सव का शुभारंभ प्रातः 4:00 बजे शहनाई वादन से हुआ। मंदिर में मंगला आरती, नेह निकुंज में आरती- पद गायन, श्रीभाईजी पावनकक्ष में पद गायन, श्री गिरिराज परिक्रमा आदि प्रातः कालीन दैनिक कार्यक्रमों के पश्चात् नेह निकुंज से संकीर्तनमय शोभायात्रा निकाली गई। श्री राधा बाबा के चित्रपट की झांकी सजाकर भक्तजन गाते हुए चल रहे थे ---मेरे तो आधार एक राधा के चरणारविंद, मेरे तो आधार एक बाबा के चरणारविंद .....

 सचिव उमेश कुमार सिंहानिया ने बताया कि नेह निकुंज में भावार्चन का शुभारंभ लगभग 10:30 बजे कथा वाचक नरहरिदास महाराज की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ। जन्म की आरती 11:00 बजे की गई। आरती के बाद भी भावार्चन का कार्यक्रम जारी रहा। अनेक महानुभावों ने बाबा के संस्मरण सुनाए तथा बाबा को भावांजलि अर्पित की। मध्याह्न में श्रीगिरिराज भोग के पश्चात् भंडारे में भक्तों ने महाप्रसाद ग्रहण किया।

सायं 4:00 बजे से नेह निकुंज में श्री राधा बाबा द्वारा रचित प्रियतम काव्य 'जय जय प्रियतम' का सस्वर गायन किया गया। 

सायंकाल समाधिस्थली पर दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम हुआ। रात्रि में 10:00 बजे से 12:00 बजे तक संकीर्तन पूर्वक जागरण किया गया।


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