शाकंभरी गुप्त नवरात्रि प्रारंभ, 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने की पूजा विधि जानें



गुप्त नवरात्रि: आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा को जितना गोपनीय रखा जाता है, फल उतना ही बेहतर प्राप्त होता है दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के स्वरुप का सुन्दर उल्लेख मिलता है किताब में देवी को नील वर्ण, कमलनयनी (कमल के सामान नेत्र वाली) और पुष्प पर विराजित होने वाली बताया गया है

गोरखपुर। हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। पौष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि को शाकम्भरी नवरात्रि भी कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 21 जनवरी गुरुवार से हो चुका है। इस नवरात्रि में तांत्रिक साधक विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए साधना करते हैं। सामान्य नवरात्रि में मां नवदुर्गा के 9 विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसा गुप्त नवरात्रि में मां नवदुर्गा के साथ ही तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं। गुप्त नवरात्रि का ज्ञान कम ही लोगों को होता है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस नवरात्रि में विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। आम नवरात्रों में मां की आराधना सात्विक और तांत्रिक दोनों ही करते हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रों में माता की साधना ज्यादातर तांत्रिक ही करते हैं। अमूमन गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली माता की आराधना का प्रचार, प्रसार नहीं किया जाता है। पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी चीजों को गोपनीय रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा को जितना गोपनीय रखा जाता है, फल उतना ही बेहतर प्राप्त होता है।
तांत्रिक और अघोरी गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने के दौरान लाल रंग का सिन्दूर और सुनहरे गोटे वाली लाल रंग की चुनरी चढ़ाई जाती है। इसके बाद मां के चरणों में पानी वाला नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे और खील अर्पित करें। मां पर लाल गुलाब या गुड़हल का पुष्प चढ़ाएं। सरसों के तेल से दिया जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें।
 

देवी शाकम्भरी

दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के स्वरुप का सुन्दर उल्लेख मिलता है। किताब में देवी को नील वर्ण, कमलनयनी (कमल के सामान नेत्र वाली) और पुष्प पर विराजित होने वाली बताया गया है। मां के एक हाथ में कमल है और दूसरे हाथ में तीरों से भरा तरकश। देवी शाकम्भरी को वनस्पति की देवी भी माना जाता है।


तंत्र साधना के लिए होती है इन महाविद्याओं की पूजा:
गुप्त नवरात्रि साधकों और तांत्रिकों के लिए विशेष महत्व रखने वाली है। इस दिन तांत्रिक और साधक मां के 10 स्वरूपों जिन्हें कि महाविद्या भी कहा जाता है, की साधना करते हैं ताकि गुप्त शक्तियां प्राप्त कर सकें। गुप्त नवरात्रि में महाविद्या के जिन स्वरूपों की पूजा की जाती है उनके नाम हैं- मां काली, तारा देवी, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों के दौरान साधना पूरी से कई गुणा फल प्राप्त होता है।

ये दस महाविद्याएं इन गुणों की प्रतीक हैं:
काली ( समस्त बाधाओं से मुक्ति)
तारा ( आर्थिक उन्नति)
त्रिपुर सुंदरी ( सौंदर्य और ऐश्वर्य)
भुवनेश्वरी ( सुख और शांति)
छिन्नमस्ता ( वैभव, शत्रु पर विजय, सम्मोहन)
त्रिपुर भैरवी ( सुख-वैभव, विपत्तियों को हरने वाली)
धूमावती ( दरिद्रता विनाशिनी)
बगलामुखी ( वाद विवाद में विजय, शत्रु पर विजय)

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