गुरु गोविंद सिंह की 355वीं जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनायी

सिक्खों के 10वें गुरु गोविंद सिंह की 355वीं जयंती हर्षोल्लास पूर्वक प्रकाश उत्सव के रूप में मनायी गई

गुरुद्वारा प्रबंध समिति जटाशंकर के अध्यक्ष जसपाल सिंह ने सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश राम त्रिपाठी को किया सम्मानित



गोरखपुर। "सवा लाख से एक लड़ाऊँ, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊ, तबै गुरु गोविंद सिंह नाम कहाऊँ" का उदघोष करने वाले

सिक्खों के 10वें गुरु गोविंद सिंह की 355वीं जयंती हर्षोल्लास पूर्वक गोलघर स्थित शास्त्री चौक पर बुधवार को पुष्पांजलि अर्पित कर मनाई गयी। 

पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (22 दिसम्बर 1666) को बिहार प्रदेश के पटना साहिब में जन्मे गुरु गोविंद सिंह कवि, भक्त और आध्यात्मिक गुरु थे। 

बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह ने क शब्द के पांच महत्व खालसा के लिए समझाया और कहा– केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कच्चेरा। 

खालसा पंथ की स्थापना सनातन धर्म व हिंदू समाज की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह ने किया था। दुनिया के सर्वकालिक संग्राम के इतिहास में इनसे बड़ा त्यागी, बलिदानी, वीर और साहसी योद्धा इतिहास के पन्नों में नहीं दिखता। गुरु गोविंद सिंह ने अपनी तीन तीन पीढ़ी गुरु एवं पिता तेगबहादुर, 4 बेटों जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह और अजित सिंह और पत्नी सहित देश धर्म समाज की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन्होंने सन्यासियों तक को योद्धा बना कर वीर बंदा बैरागी जैसे लोगों को खड़ा किया।



गुरुद्वारा प्रबंध समिति जटाशंकर के अध्यक्ष जसपाल सिंह ने गुरुकृपा संस्थान एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा संगठन के संयोजक बृजेश राम त्रिपाठी को अंगवस्त्र, सिरोहा तथा गुरु गोविंद सिंह का चित्र भेंट देकर सम्मानित किया।

उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के सदस्य जगनैंन सिंह नीटू ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह समतामूलक समाज के प्रणेता थे। उनके द्वारा पंच प्यारे की संज्ञा जातिवाद पर कड़ा प्रहार था और जनवाद का प्रतीक। अपना शीश देने के लिए तैयार हुए पांचों व्यक्ति समाज के सभी वर्ग खत्री, जाट, धोबी, नाई और कुम्हार जाति से थे।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सरदार रघुवीर सिंह, प्रेमनाथ सिंह, गगन सहगल, मुकेश गुप्ता, अभिषेक सिंह बिट्टू, रमन सिंह, आशीष राज पांडेय, शिव कुमार मल्ल, मनीष प्रताप सिंह, विश्वजीत यादव, अनुभव पांडेय सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

Comments