प्रेम मार्ग की आचार्य हैं गोपी जन : नरहरिदास



गोरखपुर। सार्वभौम संत नित्यलीलालीन भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार के नित्यसहचर महाभावनिमग्न श्रीराधा बाबा के 109 वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संतद्वय की तपोभूमि गीता वाटिका में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा (रासपंचाध्यायी प्रसंग) के दूसरे दिन बुधवार व्यासपीठ से कथा प्रसंग का विस्तार करते हुए अयोध्या से पधारे श्रीनरहरिदासजी ने कहा कि वाणी के द्वारा प्रेम के स्वरूप का वर्णन नहीं किया जा सकता। प्रेम का स्वरूप अनिर्वचनीय है... अनिर्वचनीयं प्रेमस्वरूपम्। 

गोपी जन प्रेम मार्ग की आचार्य हैं। नारद भक्ति सूत्र में प्रेमाभक्ति के सर्वोत्तम उदाहरण के रूप में नारदजी ने व्रजगोपिकाओं का ही स्मरण किया है --- यथा व्रजगोपिकानाम्। महारास के लिये भगवान ने वंशी बजाकर गोपी जनों का आह्वान किया। इसी तरह भगवान हम सभी जीवों का भी आह्वान करते हैं - मामेकं शरणं व्रज



अपराह्न चार बजे से नेह निकुंज में श्रीराधाबाबा द्वारा रचित जय जय प्रियतम काव्य का सस्वर गायन किया गया।

कथा 21 जनवरी तक चलेगी।

श्रीराधाबाबा का जन्म दिवसोत्सव पौष शुक्ल नवमी तदनुसार 22 जनवरी शुक्रवार को मनाया जायेगा।

कार्यक्रम में रसेन्दु फोगला (संयुक्त सचिव), ओमप्रकाश सेकसरिया, अंजली पराशर,  दीपक गुप्ता, श्रीमनमोहन जाजोदिया, प्रमोद कुमार बाजपेयी आदि महानुभावों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।

Comments