भिखारी ठाकुर के नाटक ‘बिदेसिया को जीवंत किया

 पूर्वांचल से जुड़े भोजपुरी गीतों का समायोजन, 

नाटक में संगीत राकेश श्रीवास्तव ने तो निर्देशन मानवेंद्र त्रिपाठी ने किया



गोरखपुर। गोरखपुर महोत्सव में भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की सर्वश्रेष्ठ कृति नाटक ‘बिदेसिया का मंचन मुक्ताकाशी के मंच पर हुआ। नाटक में बड़ी ही खूबसूरती से ‘बिदेसिया को मंच पर कलाकारों ने जीवंत बना दिया। नाटक में एक ओर जहां पलायन दिखाया गया वहीं पति के द्वारा की गई बेवफाई को भी दिखाई गई।

नाटक की शुरुआत नट नटी द्वारा मंगलाचरण से होता है। कहानी में नायक बिदेशी अपनी नई नवेली दुल्हन को छोड़कर कमाने के लिए कलकत्ता जाता है। पत्नी प्यारी उसको बहुत मनाती है लेकिन वह उसके साथ छल करके कलकत्ता जाकर दूसरी शादी कर लेता है। और इधर पति वियोग में पत्नी प्यारी तड़पती है। एक दिन प्यारी की मुलाकात बटोही से होती है, प्यारी उससे अपना सारा दुख-दर्द बताती है। प्यारी के बात सुन बटोही बिदेशी को खोजने कलकत्ता जाता है।

किसी तरह वह बिदेशी को खोज लेता है और उसे मनाकर किसी तरह गांव वापस भेजता है। ब‌िदेशी के पीछे-पीछे उसकी दूसरी पत्नी भी कलकत्ता आ जाती है। कहानी के अंत में दोनों पत्नियां मिलजुल कर विदेशी के साथ नए जीवन की शुरुआत करती हैं। नाटक में पूर्वांचल से जुड़े भोजपुरी गीतों का प्रयोग किया गया। नाटक की परिकल्पना व निर्देशन मानवेंद्र त्रिपाठी किया। वहीं नाटक का संगीत राकेश श्रीवास्तव ने दिया।


इनका रहा मुख्य रोल

पिंटू प्रीतम, विभा सिंह, पवन पंछी, साधना चत्रुवेदी, अवंतिका दुबे, बंटी बाबा, अहमद अली, नीलू, पवन कुमार, नवीन वर्मा, नविन तिवारी, आंशिका सिंह, पूजा निषाद, अन्नू निषाद, रुचिका गौड़, नूपुर सरकारी, ज्योत्स्ना, स्वीटी, विजय शंकर विश्वकर्मा, स्नेह लाता, तन्नू, अविका, उर्वशी, ऐश्वर्या, प्रदीप सिंह, आकांक्षा।

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