“योगी जी न बिसारियो मत”


 

 स्व. ओमलता देवी कोई साधारण महिला नहीं बल्कि लक्ष्मी स्वरूपा थी। यह बातें उनके ज्येष्ठ पुत्र नवल किशोर शाह ने बताया। शाह ने बताया कि हमारी पूज्य माता का चरण कमल पढ़ते ही पूरे शाह परिवार का भाग्य बदल गया। इस परिवार की दिन दुना रात चौगुना विकास होता चला गया।


हमारी माता जी नित्य प्रातः पूजा-अर्चना के बाद ही जल ग्रहण करती थी। उन्होंने धर्मार्थ के कार्यों में अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। वह दीन-दुखियों, जरूरतमंदो की यथासंभव हर तरह से मदद करती और कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटाती थी। यही शिक्षा हम लोग को भी दिया करती थी। उन्हीं के दिखाए हुए मार्ग पर हम चलने का प्रयास करते हैं। गौ माता की सेवा भाव से उन्होंने पादरी बाजार स्थित मानस विहार में एक गौशाला का स्थापित करवाया। इस गौशाले में ज्यादातर बीमार और बुढ़ी गायों की सेवा श्रद्धाभाव से की जाती है। 

 


शाह ने बताया कि वे भजन-कीर्तन एवं सतसंग में अपना ज्यादातर समय व्यतीत करती थीं। वह अपने जीवन की अंतिम दिन भी सतसंग में गुजारीं। उन्होंने बताया कि गोरखनाथ मंदिर से हमारे परिवार का बड़ा पुराना नाता रहा है। हमारी माता जी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी के प्रति आस्थावान रही। वे हम लोंगो से अकसर कहती थी कि बेटा “योगी जी न बिसारियो मत”। आज वे हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनका सानिध्य भगवान स्वरूप हमारे बीच मौजुद हैं। उनकी प्रेरणा में विगत कई वर्षों से जरूरतमंद, असहायो और दीन-दुखियों की सेवा में शाह परिवार निरंतर करता चला आ रहा है। 

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