गोरखपुर। राष्ट्रीय सैथवार मल्ल महासभा के पैडलेगंज स्थित संथागार में रविवार को सावित्रीबाई फुले समाज कल्याण समिति के बैनर तले सावित्रीबाई फुले की जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. विजयश्री मल्ल, प्रिया चौधरी, रीतासिंह, संगीता व महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मल्ल के द्वारा सावित्रीबाई फुले के चित्र के सामने मोमबती जलाकर एवं पुष्पांजलि करके किया गया।
ततपश्चात सावित्रीबाई फुले कैलेंडर का विमोचन व सम्यक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सावित्री बाई फुले संक्षिप्त जीवनी सभी को भेंट की गई।
अनिल मल्ल ने सावित्री बाई के शिक्षा के लिए किए संघर्ष पर प्रकाश डाला और आयोजको को शुभकामना दिया। औपचारिक स्वागत डॉ विजयश्री मल्ल ने किया। शोध छात्रा पद्मिनी मल्ल ने सावित्री बाई के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता एडीएम पीजी कॉलेज गोंडा की प्रोफेसर अमृता मल्ल ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है तो यह शिक्षा से ही संभव है। माता सावित्रीबाई ने शिक्षा के अधिकार के लिए जो संघर्ष किया औऱ जिसके कारण आज हम सब शिक्षा लेने का अवसर पा रहे हैं उसके लिए स्त्री जाति सदैव उनकी आभारी रहेगी।
शिक्षा के महत्व पर बात करते हुए शिक्षिका नीतू सिंह ने कहा कि हमें बेटी के विवाह के लिए सोचने के बजाय उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोचना चाहिए ।जैसा कि हम जानते हैं कि हमारी माताएं भविष्य का निर्माण करती हैं इसीलिए जरूरी है कि महिलाएं शिक्षित और तभी देश व राष्ट्र का विकास संभव है ।
शिक्षिका सुनीता कुमारी सरोज ने हास्य व्यंग सुनाकर श्रोताओं का मनोरंजन किया । शोध छात्रा नंदिनी ने महिला शिक्षा पर कविता पाठ किया। संगम साहनी ने कहा कि शिक्षा के बिना मानव और पशु में कोई अंतर नही है। पर शिक्षा केवल किताबी ना होकर सामाजिक भी होनी चाहिए । सामाजिक शिक्षा के अभाव में ही हमसे हमारे महामानवों को छुपाकर गल्पों देवी देयताओं की पूजा करवाइ जाती रही। सामाजिक शिक्षा से ही सामाजिक परिवर्तन के द्वार खुलते हैं और भारत मे सामाजिक बदलाव के बिना विकास सम्भव नही है ।सामाजिक शिक्षा ऐसे कार्यक्रमो से ही मिलती है।।
प्रिया चौधरी ने कहा कि आज भारत मे महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से अपना स्थान बना रही हैं समाज के विकास में योगदान दे रही हैं तो यह तभी संभव हो पाया है जब उनको शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला जिसमें भारतीय महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने में सावित्रीबाई फूले और फातिमा शेख के संघर्ष उल्लेखनीय है। उन्होंने उस समय के रूढ़िवादी समाज की कुप्रथाओं के विरुद्ध संघर्ष करके हमे शिक्षा का अवसर दिलवाया इसलिए हम उनके ऋणी हैं।
एक सत्र सभी की सहभगिता के लिए राउंड टेबल वार्ता का रखा गया। ग्रुप डिस्कशन में महिलाओं ने अपनी अपनी समस्याएं रखी जिसके समाधान पर विचार किया गया। एक निष्कर्ष यह निकला कि बिहार सरकार की तरह उत्तर प्रदेश व अन्य सरकारों को भी महिलाओं के पीरियड्स आने पर होने वाली तकलीफों से बचने के लिए महीने में कम से कम 2 दिन की छुट्टी देनी चाहिए और इसके लिए हमें हर जगह आवाज भी उठाना होगा।
सभी ने माता सावित्री बाई फुले के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
संचालन प्रिया चौधरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दीपमाला ने किया। कार्यक्रम के लिए संथागार उपलब्ध करवाने के लिए सैंथवार मल्ल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक आभार पत्र भी दिया गया।
कार्यक्रम में नीतू, प्रियंका कुमारी राव, नन्दिनी सिंह, माही सोनकर, सोनी निषाद , सोनिका निषाद , पूनम मौर्य, ज्योति शर्मा, संगीता, बिनीत. सुनीता कुमारी सरोज, मीरा सिंह, सीमा देवी, दुर्गावती विश्वकर्मा, सुनीता, अमृता सिंह, कालिन्दी जिज्ञासु समेत सैकड़ो महिलाये उपस्थित रही।
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